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बांदा निकाय चुनाव : ‘कौन चलाएंगे पालिका’..?, ‘लड़ते ही रह जाएंगे ये..’, किनकी होती जमानत जब्त..’, मतदाताओं की चर्चा

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मनोज सिंह शुमाली, बांदा : बांदा नगर पालिका को लेकर सभी दलों के प्रत्याशियों के बीच चुनावी घमासान तेज हो चुका है। सब अपनी-अपनी ताकत झोंक रहे हैं। कुछ प्रत्याशी धन-बल के दम पर अपनी जीत के सपने संजोए हैं तो कुछ जातीय समीकरणों के आधार पर जीत सुनिश्चित करने में लगे हैं। सभी के साथ कुछ प्लस प्वाइंट हैं तो कुछ निगेटिव प्वाइंट भी हैं। वहीं दूसरी तरफ मतदाताओं के मन में कई तरह के सवाल चल रहे हैं। शहर के चौराहों और नुक्कड़ों पर मतदाताओं के बीच खूब चर्चाएं हो रही हैं। दरअसल, इन चर्चाओं के बीच से ही मतदाता के मन की बातें निकलकर सामने आती हैं। इन्हीं बातों पर मतदाता अपने प्रत्याशियों को परखता है।

धन-बल वालों से दूरी बनाने के मूड में मतदाता

अबकी बार मतदाताओं के बीच चर्चाएं भी बड़ी जबरदस्त हैं। एक पार्टी के प्रत्याशी को लेकर मतदाताओं का कहना है कि इन्हें जीता दिया तो पालिका दूसरे लोगों के हाथ में आ जाएगी। दूसरे लोग नगर पालिका पर अप्रत्यक्षरूप से काबिज हो जाएंगे। मतदाताओं में यह भी चर्चा है कि धनके बल पर चुनाव ठीक नहीं। क्योंकि इससे अयोग्य प्रत्याशियों को बढ़ावा मिलता है। कुल मिलाकर अभी मतदाता इस प्रत्याशी पर अपना मन नहीं बना पाए हैं।

लड़ने वाले ठीक नहीं, सकारात्मक विकास वाला चाहिए

वहीं एक अन्य पार्टी के प्रत्याशी के बारे में चर्चा है कि अगर वह जीत गया तो लड़ते-लड़के ही कार्यकाल निपट जाएगा। मतदाताओं में चर्चा है कि इससे जनता का भला नहीं होगा, बल्कि नगर पालिका अखाड़ा बनी रहेगी। शहर का विकास प्रभावित रहेगा। मतदाताओं में चर्चा है कि नकारात्मकता से भला नहीं होने वाला है। इसलिए मतदाता इस प्रत्याशी को लेकर भी आश्वस्त नहीं है।

इनकी होती जमानत जब्त, शासन-सत्ता में दबदबा नहीं

वहीं एक अन्य राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी को लेकर भी मतदाताओं में चर्चा है। मतदाताओं का मानना है कि इस पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत जब्त होती है। पार्टी में कोई करंट नहीं है। प्रत्याशी को जीता भी दिया तो जनता हित के काम होने नहीं वाले है। चर्चा है कि दूर की सोच में यह प्रत्याशी भी पूरी तरह खरा नहीं उतर रहा। दरअसल, मतदाताओं में चर्चा है कि कमजोर प्रत्याशी को जिताना ठीक नहीं है।

इस प्रत्याशी को वोट कटवा मान रही जनता जनार्दन

वहीं एक अन्य पार्टी प्रत्याशी को लेकर जनता जनार्दन में चर्चा है कि यह वोटकटवा हैं। हालांकि, इस प्रत्याशी को जातीय समीकरणों और एक वर्ग का वोट मिलने की संभावना से मतदाता इंकार नहीं कर रहे हैं। है। फिर भी वोटरों में चर्चा है कि प्रत्याशी भी बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। शहर में इस प्रत्याशी की व्यापारी वर्ग में खास पहुंच नहीं है। चर्चा है कि एक खास तबके में ही इनकी पकड़ है।

समझदार मतदाता सोच-समझकर करेगा मतदान

बहरहाल, बांदा निकाय चुनाव में काफी सरगर्मियां हैं। यह बात सही है कि अभी प्रत्याशी सिर्फ अपनी ताकत झोंकने में लगे हैं। मतदाताओं का दिल छूने की कोशिश कर रहे हैं। मन टटोलने में लगे हैं। दूसरी ओर मतदाता समझदार है और अपना वोट बहुत सोच-समझकर देगा। आने वाला समय बताएगा कि मतदाताओं ने किसके सिर पर ताज रखा है।

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