समरनीति न्यूज, बांदा : भले ही माफिया अतीक अहमद मारा जा चुका हो, लेकिन उसकी मौत से लेकर रुतबे तक बांदा का गहरा कनेक्शन रहा है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद बांदा में कई जगहों पर अतीक का कनेक्शन सामने आया था। अतीक की पत्नी को संरक्षण देने वालों में एक कथित पत्रकार जफर अहमद का नाम सामने आया था। घरों पर बुल्डोजर भी चला। यह बात अलग है कि अतीक के कई गुर्गे कार्रवाई की जद से बच निकले। अतीक को मारने वालों में भी एक युवक बांदा का था। यह भी इत्तेफाक ही है।
‘मीडिया-अधिकारी’ मैनेजमेंट के नाम पर खेल
सूत्रों की माने तो इस समय चर्चा है कि बांदा में अतीक के गुर्गे फिर सक्रिय हो गए हैं। कई ऐसे गुर्गें है जो बालू खदानों में मीडिया मैनेजमेंट संभालने के नाम पर एक्टिव हैं। सूत्र बताते हैं कि इनमें से कुछ खुद को मीडिया कर्मी बताकर काम कर रहे हैं।
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खनिज से जुड़े सूत्रों का यहां तक कहना है कि अगर शासन एजेंसियों से जांच करा ले तो बड़े खुलासे होंगे। दरअसल, बांदा में माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के गुर्गे किसी ने किसी रूप में सक्रिय रहे हैं। कहा जाता है कि इस समय बांदा की कई बालू खदानों पर मैनेजमेंट या मीडिया मैनेजमेंट संभालने के नाम पर ऐसे ही गुर्गे सक्रिय हैं। हालांकि, जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकती है, कि यह सच है या झूठ?
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