समरनीति न्यूज, बांदा : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार लगातार अवैध खनन पर डंडा चला रही है, लेकिन बांदा इसका असर कम दिख रहा है। यहां अवैध खनन की शिकायतें अब भी आम बात हैं। इतना ही नहीं कुछ शातिर जालसाजों के हाथों में बालू खदानों का मीडिया-अधिकारी मैनेजमेंट काफी चर्चा में है। ये जालसाज अवैध खनन के लिए मीडिया से लेकर अधिकारियों तक को मैनेज करने का दावा करते हुए जिम्मेदारी ले रहे हैं।
अतीक और मुख्तार मामलों में उछल चुके कई नाम
इनमें कई ऐसे नाम शामिल हैं जो हाल ही में अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी मामलों में उछले थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय ऐसे ही लोगों के हाथ में बांदा की कनवारा, बेंदा, साड़ी, मरौली और खरई, खप्टिहाकला, बदौसा जैसी कई खदानों के मीडिया-अधिकारी मैनेजमेंट की जिम्मेदारी है।
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जानकार बताते हैं कि माफिया बालू खदानों के संचालकों से मीडिया मैनेजमेंट और अधिकारियों को मैनेज करने के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ के नाम महीनों पहले माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी मामलों में भी खूब उछले थे। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की बातें सामने आई हों।
मैनेजमेंट के नाम पर चल रहा बड़ा खेल
बालू कारोबार से जुड़े जानकार बताते हैं कि बुंदेलखंड में पहले भी बांदा, हमीरपुर और महोबा में बालू माफियाओं के ऐसे गुर्गों के नामों के डंके बजते रहे हैं। इससे पहले कई बार स्थानीय स्तर पर इनकी आपराधिक मामलों में मिलीभगत के भी आरोप लगते रहे हैं। अब यही लोग बालू खदानों पर जाकर मीडिया मैनेजमेंट और अधिकारियों को साधने की जिम्मेदारी ले रहे हैं।
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