मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो (बांदा) : लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में संगठन में एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। यूपी में कम से कम 40 फीसदी जिलाध्यक्षों को बदले जाने की तैयारियां हैं। ऐसे में बुंदेलखंड में सभी की नजर बांदा जिले पर है। चर्चा है कि संगठनात्मक हित और दूसरे कारणों से बांदा जिलाध्यक्ष का
बदला जाना भी तय है। ऐसे में सभी की नजर इस बात पर है कि संगठन का दायित्व किसी कर्मठ असल कार्यकर्ता को दिया जाएगा या फिर कोई रबड़ स्टांप बाजी मार ले जाएगा। हालांकि, कुछ अच्छे और कर्मठ नेताओं के भी नाम चल रहे हैं, जिन्होंने वास्तव में पार्टी की लंबे समय तक सेवा की है।
इसलिए बांदा को लेकर इतनी ज्यादा चर्चा
दरअसल, यह चर्चा इसलिए है क्योंकि फिलहाल जिले में कुछ संस्थाओं में बैठे जिम्मेदार रबड़ स्टांप की तरह काम कर रहे हैं। यह बात पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकारते हुए कहा है कि वह कई साल से पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी के लिए काम किया और सबकुछ दांव पर लगाया है। मगर कुछ वर्षों से चुनावों में टिकट की बारी आती है तो ऐसे लोगों को आगे खड़ा कर दिया जाता है जो दूसरे दलों से आयातीत होते हैं।
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या फिर स्थानीय प्रतिनिधियों के करीबी। पार्टी के लिए उनका योगदान भी न के बराबर होता है। ऐसे लोग जब चुन लिए जाते हैं तो रबड़ स्टांप बनकर रह जाते हैं। इन वरिष्ठ नेता ने जिला पंचायत से लेकर बांदा नगर पालिका पर भी चर्चा की।
ऐसे-ऐसे नामों को लेकर लग रहे क्यास
अब जिलाध्यक्ष को लेकर भी यही चर्चा है। इस समय बांदा बीजेपी जिलाध्यक्ष के लिए काफी नाम चर्चा में हैं। कई उम्मीदवार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक परिक्रमा लगा रहे हैं।
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सभी अपनी-अपनी सिफारिशों के घोड़े खोल चुके हैं। वहीं पार्टी के कुछ स्थानीय बड़े नेता मौजूदा अध्यक्ष के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। कुछ पार्टी हित देख रहे हैं तो कुछ व्यक्तिगत हित साध रहे हैं।
सोच-समझकर ही बनाएगा पार्टी हाईकमान
यही वजह है कि आम कार्यकर्ताओं की नजर पार्टी हाइकमान के फैसले पर टिकी है। वैसे पार्टी हाइकमान ठोक-बजाकर ही किसी जिम्मेदार निष्पक्ष कार्यकर्ता को इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपेगा। क्यों कि बीजेपी हाईकमान की नजर 2024 पर टिकी है। पार्टी समझ रही है कि किसी रबड़ स्टांप किस्म का अध्यक्ष बनाने का मतलब नुकसान साबित हो सकता है। फिलहाल, कयासों का दौर जारी है। सभी को नए अध्यक्ष का इंतजार है।
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