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बुंदेलखंड : क्या निकाय चुनाव भी सीएम योगी के भरोसे..?

Will the body elections also depend on CM Yogi..?

मनोज सिंह शुमाली, बांदा : ट्रिपल इंजन सरकार के जोश से लवरेज भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनाव में इस कदर ताकत झोंक रही है कि परंपराओं को भी तोड़ने में परहेज नहीं कर रही। हालांकि, बुंदेलखंड में स्थानीय नेताओं के दम पर निकाय चुनाव में जीत का सपना इतना आसान नहीं है, यह बात पार्टी बहुत अच्छे से समझ चुकी है। यही वजह है कि इस बार बुंदेलखंड में निकाय चुनाव भी सीएम योगी आदित्यनाथ के भरोसे लड़ा जा रहा है। प्रचार के अंतिम दिन सीएम योगी कानपुर के बाद बुंदेलखंड के बांदा और चित्रकूट में जनसभाएं करेंगे। दोनों जिलों में मुख्यमंत्री 45-45 मिनट की जनसभाएं करने वाले हैं।

स्थानीय नेताओं के भरोसे जीत संभव नहीं

इससे एक बात तो साफ हो गई है कि पार्टी मान चुकी है कि स्थानीय नेताओं के भरोसे यह चुनाव नहीं जीता जा सकता है। स्थिति को समझते हुए पार्टी ने मुख्यमंत्री को प्रचार के ठीक आखिरी दिन मैदान में उतारकर दूसरे राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। ऐसे में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सीएम योगी स्थानीय नेताओं को संजीवनी देने का काम करेंगे।

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हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि सीएम योगी के दौरे से बुंदेलखंड में चुनावी जीत-हार के समीकरण बदलेंगे। क्योंकि बुंदेलखंड में चुनाव कोई भी हों मोदी और योगी के नाम पर होता है। स्थानीय नेताओं की लोकप्रियता में लगातार गिरावट आ रही है। 2017 के विधानसभा चुनावों में बुंदेलखंड की जिन सीटों पर शानदार ढंग से कमल खिला था, उन्हीं सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनावों में जीत का अंतर आधे से भी कम हो गया।

बड़ी रणनीति है CM को मैदान में उतारना

2018 के निकाय चुनाव में अकेले बांदा जिले में बीजेपी को कई जगह हार का सामना पड़ा था। शायद यही वजह है कि बुंदेलखंड में खुद मुख्यमंत्री योगी ने अब निकाय चुनाव की कमान संभाली है। निकाय चुनाव में प्रदेश के मुखिया को खुद निकलना पड़े, तो समझा जा सकता है कि हालात क्या हैं। पार्टी ने यह बड़ी रणनीति तैयार की है। मुख्यमंत्री योगी 9 मई को बांदा और चित्रकूट में जनसभाओं को संबोधित करेंगे।

2018 के निकाय में कई जगह हुई थी हार

मतदान से कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री योगी दरअसल, चित्रकूटधाम मंडल में 8 नगर पालिका परिषद और 15 नगर पंचायतें हैं। बताते हैं कि बीते 2018 के निकाय चुनाव में मात्र दो नगर पालिका परिषदों और 6 नगर पंचायतों में ही भाजपा प्रत्याशी जीते थे। बाकी में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। अबकी बार पार्टी हर हाल में जीत दर्ज कराना चाहती है। इसी रणनीति का हिस्सा सीएम योगी को प्रचार में उतारना है। वहीं सीएम योगी के बुंदेलखंड दौरे से दूसरे राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ गई है।

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