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Dear Doctor : ठंड में अपने बच्चों को बीमारियों से कैसे बचाएं, पढ़िए ! डाक्टर की सलाह

Dear Doctor : Read how to save your children from diseases in winter. doctor's advice
डा. जे. विक्रम।

समरनीति न्यूज, बांदा : सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में ठंड में होने वाली बीमारियां जोर पकड़ रही हैं। खांसी, जुकाम और बुखार के साथ-साथ वैश्विक संकट कोरोना को लेकर भी अलर्ट जारी हो चुका है। ऐसे माहौल में बच्चों का हम सभी को खास ख्याल रखना है। अपने नौनिहालों को बीमारियों से बचाकर रखना है। सवाल है कि बच्चों का कैसे ख्याल रखें। इसके लिए हमने ‘समरनीति न्यूज’ आफिस में शहर के जाने-माने अपने डियर डाॅक्टर डाक्टर जे. विक्रम को आमंत्रित किया। बाल रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर जे. विक्रम से हमने बच्चों को बीमारियों से बचाने, उनके वैक्सिनेशन और दूसरे हेल्थ टिप्स पर बात की। यह बातचीत सभी पेरेंट्स के लिए खास है। आप भी पढ़िए और डाक्टर की सलाह मानिए.. 

निमोनिया, कोल्ड डायरिया-इंफेक्शन का दौर

डाॅक्टर विक्रम कहते हैं कि सर्दी का यह मौसम बच्चों के बीच निमोनिया, गले के इंफेक्शन, वायरल/डेंगू फीवर और कोल्ड डायरिया के साथ-साथ डिपथेरिया, मिसेल यानी छोटी माता और टाइफाइड/हिप्पेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियां लेकर आता है। ऐसे में सभी पेरेंट्स को खासतौर पर सावधान रहने की जरूरत है। इन बीमारियों के लक्षण दिखने पर जरा सी भी लापरवाही नहीं करनी है। तुरंत डाॅक्टर को दिखाना चाहिए।

बच्चों के लिए पेरेंट्स रहें पूरी तरह अलर्ट

डाॅक्टर विक्रम कहते हैं कि सभी पेरेंट्स की खास जिम्मेदारी है कि सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई, हाथ धोने जैसी छोटी-छोटी बातों का खास ख्याल रखना है।

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इसके साथ ही बच्चे के संपर्क में आने वाले लोग मास्क जरूर लगाएं। बच्चों को नंगे पैर या ठंडी हवा में बाहर न घूमने दें। शीतलहर में बच्चों को जरूरी न होने पर बाहर न निकालें।

ठंडी हवाओं से बच्चों को बचाना जरूरी

डाॅक्टर का कहना है कि पेरेंट्स की छोटी-छोटी अनदेखी की वजह से ही आजकल बच्चों में निमोनिया, कोल्ड डायरिया, सांस लेने में दिक्कत जैसे मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं।

Dear Doctor : Read how to save your children from diseases in winter. doctor's advice

डाक्टर कहते हैं कि एक और खास बात यह है कि न्यू बोर्न बेबी यानी नवजात बच्चे को धूप में लिटाकर इस मौसम में मालिश करने का जोखिम न उठाएं।

..तो डाक्टर के पास जाने तक ORS दें

आजकल हल्की धूम के बीच शीत लहर चलती रहती है, जो कि आपके लाडले के लिए बीमारी का कारण बन सकती है। डाॅक्टर विक्रम की सलाह है कि बच्चों को गरम कपड़े पहनाने के साथ जहां तक संभव हो गरम पानी ही पिलाएं।

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अगर किसी बच्चे को उल्टी और दस्त की दिक्कत हो गई है तो उसे ओआरएस का घोल देने में देरी न करें। डाॅक्टर के पास जाने तक उसे घोल पिलाते रहें।

80% बीमारियों से बचाता टीकाकरण

इससे बच्चे के शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। फिर जितनी जल्दी हो सके बच्चे को ले जाकर अपने डाॅक्टर को दिखाएं। बच्चों के लिए टीकाकरण कितना जरूरी है, टीकाकरण कब-कब होना चाहिए। इसे लेकर डाक्टर विक्रम ने पेरेंट्स को बड़ा मैसेज दिया।

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उनका कहना है कि हर माता-पिता को अपने बच्चों का समय-समय पर टीकाकरण जरूर कराना चाहिए। टीके लगने के बाद बच्चे करीब 80% बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। डाक्टर ने कहा कि किसी भी बच्चे को 2 साल तक ज्यादा टीके लगते हैं, इसके बाद 5 साल तक भी टीकाकरण होता है।

5 साल के बच्चे को बूस्टर डोज जरूरी

5 साल के बच्चों को बूस्टर डोज देना जरूरी होता है। इस बूस्टर डोज में 3 तरह के टीके होते हैं। पहला चीकन पाॅक्स, दूसरा एमएमआर और तीसरा टाइफाइड/डीपीटी का होता है।

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डाॅक्टर विक्रम का कहना है कि उनकी सभी पेरेंट्स से अपील है कि छोटी माता यानी मिसेल जैसी बीमारियों को लेकर किसी अंधविश्वास में न पड़ें। यानी झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें। बच्चे में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फोरन डाॅक्टर को जाकर दिखाएं। ताकि बच्चे का समय पर इलाज शुरू हो सके। वह कहते हैं कि अक्सर इस बीमारी में माता-पिता की देरी बच्चों के लिए जानसेवा साबित हो जाती है।

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