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बांदा निकाय : भाजपा के लिए चुनौतियों से भरी है राह, 2017 जैसे समीकरण

UP civic elections : Campaigning for first phase ends, voting in these districts on May 4

मनोज सिंह शुमाली, बांदा : यूपी निकाय चुनाव के दूसरे चरण में बांदा में भी मतदान होना है। यहां भाजपा की राह काफी चुनौतियों भरी है। कहीं न कहीं भगवा खेमे में दबा हुआ असंतोष और कई जातीय समीकरणों के चलते विपक्षी कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहै हैं। एक बार फिर 2017 वाले समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं।

2017 में जीते थे सपा के मोहन साहू व 2012 मालती गुप्ता की हुई थी जमानत जब्त

दरअसल, 2017 में भाजपा को बांदा नगर पालिका के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। सपा के मोहन साहू ने 3 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कराई थी। भाजपा के शिवपूजन गुप्ता दूसरे नंबर पर रहे थे। इसी तरह 2012 में भाजपा मात्र 237 वोटों से चुनाव जीती थी। हालांकि उस समय बीजेपी की मौजूदा प्रत्याशी मालती गुप्ता निर्दलीय चुनाव लड़ी थीं। तब उनकी जमानत जब्त हो गई थी। उनको मात्र 5421 ही वोट मिले थे।

बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच हुई थी कांटे की टक्कर, कांग्रेस बनी थी गेम चेंजर

दरअसल, 2017 के निकाय चुनावों में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर रही थी। तब कांग्रेस के मो. इदरीस ने चुनावी समीकरणों को बदल दिया था। भले ही इदरीश जीते नहीं, लेकिन जीत-हार के समीकरण बदल गए थे। सपा के मोहन साहू ने 22,919 वोट हासिल करते हुए जीत दर्ज कराई थी। वहीं भाजपा के शिवपूजन गुप्ता को 19,892 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के मो. इदरीश को 11,959 वोट मिले थे। तब 12 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था।

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2012 के निकाय चुनावों में बांदा नगर पालिका से भाजपा की विनौद जैन मात्र 237 वोटों से जीती थीं। निर्दलीय प्रत्याशी मुमताज इदरीस को 11000 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कांग्रेस की साधना जायसवाल रही थीं। वहीं बीजेपी की मौजूदा प्रत्याशी मालती गुप्ता निर्दलीय चुनाव लड़ी थी। उनको 5421 वोट मिले थे। मालती की तब जमानत जब्त हो गई थी। इतना ही नहीं सपा की गीता साहू भी निर्दलीय लड़ी थीं। उनको भी 7759 वोट ही मिले थे।

तब मात्र 237 वोटों से ही जीती थीं भाजपा प्रत्याशी, दूसरे नंबर थीं निर्दलीय मुमताज इदरीश

वहीं कांग्रेस की बात करें तो 2012 और 2017 के चुनावों में पार्टी लगातार तीसरे नंबर पर आ रही है। जीत भले न पा रही हो, लेकिन जीत-हार पर बड़ा असर डालती रही है। देखना होगा कि कांग्रेस की इस बार क्या स्थिति होगी। वहीं बसपा की बात करें तो इस बार मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में है। हालांकि, बसपा से कोई चमत्कार होते दिखाई नहीं दे रहा है।

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