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क्या संजय निषाद ने बढ़ा दी बीजेपी की टेंशन..?

sanjay nishad on Alliance with bjp

मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो (लखनऊ) : पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक और तैयार हो रहे महागठबंधन को लेकर भारतीय जनता पार्टी पहले ही असहज है। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी गठबंधन के लिए नए सहयोगियों की तलाश में जुटी है। इस सबके बीच एनडीए में सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने एक बड़ा बयान देकर भाजपा की टेंशन बढ़ाने का काम किया है।

भाजपा के लिए क्यों अहम हैं संजय निषाद

दरअसल, संजय निषाद को बीजेपी हल्के में नहीं ले सकती। इसकी वजह है कि संजय वही नेता हैं जिनके बेटे प्रवीण ने 2018 में गोरखपुर उप चुनाव में भाजपा को लोकसभा उप चुनाव में पटखनी दी थी। वो भी उस सीट पर जो सीएम योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी समझ रही है कि निषाद समाज और सीटों पर उनकी गहरी पकड़ है। उनकी नाराजगी पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।

यह है निषाद पार्टी प्रमुख का टेंशन वाला बयान

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर संजय निषाद ने कहा है कि ‘पब्लिक की वजह से ही हम नेता हैं और अब पब्लिक ही तय करेगी कि बीजेपी के साथ रहना है या नहीं।’ निषाद पार्टी अध्यक्ष ने कहा है कि 2024 के चुनाव में हम जनता के बीच जाकर क्या कहेंगे? क्या बताएंगे कि आरक्षण का क्या हुआ?

बोले- यह प्रेशर पाॅलिटिक्स नहीं, समाज के लिए..

यूपी में निषाद समाज और पिछड़ी बाहुल्य सीटों पर गहरा प्रभाव रखने वाले संजय निषाद ने कहा कि कुछ लोग हमारी बातों को प्रेशर पाॅलिटिक्स बता रहे हैं, बल्कि हम ये सबकुछ अपने समाज के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबकी नजर में हम भले ही मंत्री हैं, लेकिन अपने समाज के लिए संतरी हैं।

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उन्होंने यह भी कहा कि हम यह भी देख रहे हैं कोई बड़ा विभीषण पैदा न हो जाए। कहा कि मझवारों के आरक्षण के लिए हमको महासंपर्क की जरूरत पड़ी है। संजय निषाद ने कहा कि कुछ लोग बीजेपी और उनके बीच फूट डलवा रहे हैं।

ओपी राजभर को लेकर कहीं ये बातें..

उन्होंने ओपी राजभर पर भी बड़ी बात कही। कहा कि कुछ लोग राजभर को गुमराह करते हैं। निषाद पार्टी के मुखिया ने राजभर को नसीहत देते हुए कहा है कि नेता को भरोसेमंद होना जरूरी है, ताकि जनता उसपर भरोसा कर सके। आगे बोले, कि राजभर कभी बीजेपी में हीरो थे, फिर उनको सलाहकार मिल गए और अब वे जीरो हो गए हैं।

एनडीए में शामिल हैं निषाद पार्टी

आपको बताते चलें कि निषाद पार्टी एनडीए का सहयोगी दल है। निषाद पार्टी अपने समाज के लिए आरक्षण की मांग पहले भी करती रही है। अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी प्रमुख ने फिर आरक्षण का राग छेड़ा है। सहयोगी दल के बदले तेवर देखकर बीजेपी की टेंशन बढ़ना स्वभाविक है। विपक्ष के महागठबंधन के बीच अपने गठबंधन के सहयोगियों को बचाए रखना भी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि संजय निषाद का अगला कदम क्या होगा..?

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