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2024 में क्या फिर एक्टिव होगी बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी..?

Will Babu Singh Kushwaha's party be active again in 2024..?

मनोज सिंह शुमाली, बांदा : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में सभी दल अपनी-अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। कुछ ऐसे छोटे राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को लेकर अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद में हैं। इनमें से एक बसपा सरकार में प्रभावशाली रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाह की जन अधिकार पार्टी भी है। बुंदेलखंड के मतदाताओं में गहरी पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाह के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी का वजूद बचाने की है।

लगातार संघर्ष के बावजूद लोकसभा और विधानसभा में नहीं

बुंदेली वोटरों पर गहरी पकड़ रखने के बावजूद कुशवाह की पार्टी आजतक लोकसभा या विधानसभा नहीं पहुंच पाई। 9 दिसंबर 2016 को गठित जन अधिकारी पार्टी की लड़ाई वक्त के साथ-साथ कमजोर पड़ती नजर आ रही है।

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2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुशवाह की जन अधिकारी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बीच गठबंधन हुआ। यह गठबंधन काफी चर्चा में रहा।

कांग्रेस से लेकर औवैसी तक से गठबंधन, फिर भी सफलता नहीं

इससे बुंदेलखंड समेत पूरे प्रदेश की कई सीटों पर असर पड़ने की उम्मीद की जा रही थी। माना जा रहा था कि यूपी की सभी सीटों पर कुशवाहा, मौर्य, शाक्य और सैनी वोटर एक साथ आएंगे और मुस्लिम भी एकजुट होंगे।

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लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। परिणाम शर्मसार करने वाले रहे। इससे पहले 2019 में लोसभा चुनाव में पूर्व मंत्री कुशवाहा की पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ। कांग्रेस ने 7 सीटें दीं।

गाजीपुर सीट से पत्नी को मिले थे 3 लाख से ज्यादा वोट

इन चुनावों में बाबू सिंह की पत्नी शिव कन्या कुशवाहा चंदौली सीट से और भाई शिव शरण कुशवाहा झांसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। लेकिन दोनों को ही सफलता नहीं मिली। इसी तरह 2014 में बाबू सिंह की पत्नी शिव कन्या गाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ीं थीं। वहां उन्हें 3 लाख से ज्यादा वोट मिले। लेकिन जीत नहीं पाईं। आज 2024 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पीछे मुड़ककर देखें तो लगातार कई साल से संघर्ष कर रही कुशवाह की पार्टी लोकसभा या विधानसभा से दूर खड़ी नजर आती है। अब लोकसभा 2024 का चुनाव है। लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव से पहले कुशवाह की पार्टी फिर एक्टिव होगी?

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