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Update : SSP ने मांगी ID तो बिजलीकर्मी ने बत्ती गुल कर दिया परिचय, फिर हुआ..

SSP asks for ID card, then electricity worker turns off light, then it happens ..
प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक बड़ा ही अजीब घटनाक्रम हुआ। जिसने वहां के एसएसपी और पूरे पुलिस महकमे को चौंका दिया और अब हर किसी की जुबान पर है। दरअसल, यह पूरा मामला वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र का है। बताते हैं कि वाराणसी के एसएसपी अमित पाठक (SSP Amit Pathak) पुलिस फोर्स के साथ चेकिंग कर रहे थे। गतरात्रि लगभग 2 बजे का समय था। फोर्स के साथ खुद एसएसपी भी मौजूद थे।

पुलिस चेकिंग के दौरान हुआ घटनाक्रम

इसी बीच बिजली विभाग का कर्मचारी संजय सिंह बाइक से निकला तो पुलिस ने रोककर पूछताछ शुरू कर दी। विद्युत कर्मचारी ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह बिजली विभाग में कार्यरत है। पुलिस ने उनसे परिचय पत्र मांगा तो वह नहीं दे सके।

आई कार्ड था नहीं, ऐसे दिया परिचय

बात यहीं नहीं रुकी, बल्कि बहस होने लगी। बिजलीकर्मी ने कहा कि वह अभी अपनी पहचान साबित कर सकता है। तबतक पास में खड़े एसएसपी तक भी बात पहुंच गई। एसएसपी पाठक ने भी कहा कि अपना परिचय पत्र दिखाकर चले जाओ।

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इसके बाद बिजली कर्मी ने अपनी पहचान साबित करने के लिए विद्युत केंद्र पर काॅल करके पूरे इलाके की बत्ती गुल करा दी। इलाके की बत्ती गुल होने से अंधेरा छा गया।

शिकायत पर एमडी ने कराई जांच, दो नपे

इस दौरान रात करीब 2:17 बजे फिर से काॅल करके बिजलीकर्मी ने आपूर्ति चालू भी करा दी। तब तो पुलिस ने उसे जाने दिया। लेकिन बाद में एसएसपी पाठक ने इसकी शिकायत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी से की। मामले में तत्काल जांच कराई गई। जांच के बाद पता चला कि मामला सही है। बिजलीकर्मी संजय के कहने पर करौंदी उपकेंद्र पर तैनात रामलखन नाम के कर्मचारी ने सप्लाई काट दी थी।

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वहीं जांच में पता चला कि दफ्तर की लॉगबुक पर न तो बिजली काटने और न ही जोड़ने का समय अंकित था और न ही कोई वजह। इसके बाद दोनों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। दोनों संविदा पर थे। इतना ही नहीं लंका थाने में संजय समेत दोनों बिजलीकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज हो गई है। मामला इलाके में चर्चा का विषय बना है। उधर, इस बारे में अधिशासी अभियंता चंद्रेश उपाध्याय का कहना है कि बिना ब्रेक डाउन बिजली की सप्लाई रोकना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करके विभाग की छवि धूमिल की गई है। इसकी छूट नहीं दी जा सकती है।

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