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ममता के गढ़ में राम नाम के सहारे बीजेपी, कराएगी राम मंदिर का निर्माण..

सांकेतिक फोटो।

प्रीति सिंह, डेस्क: बीजेपी किसी भी हाल में राम मंदिर का मुद्दा नहीं छोडऩा चाहती। यूपी में राम मंदिर के सहारे सत्ता का स्वाद चख चुकी, बीजेपी अब पश्चिम बंगाल में राम मंदिर का मुद्दा भुनाने की कोशिश में लग रही है। ममता के दुर्ग में जय श्री राम के सहारे बीजेपी ने शानदार ढंग से 18 सीटें जीतीं। बीते पांच सालों में बीजेपी ने संघर्ष करते हुए पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की है। अब इसी जमीन से भारी जनादेश के लिए बीजेपी ने अयोध्या से पहले पश्चिम बंगाल में एक राम मंदिर की नींव रखने जा रही है। यानि बात बिल्कुल साफ है कि अब यूपी से पहले बंगाल में बीजेपी राम मंदिर को आगे बढ़ चुकी है।

राम नाम से ही बीजेपी का होता बेड़ापार..

बीजेपी ने भले ही आयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को लेकर कभी हां-कभी ना, वाली भूमिका अख्तियार कर रखी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी का शुरू से लेकर अबतक का बेड़ा पार राम नाम से ही हुआ है। हालात यह हैं कि आज बीजेपी की राजनीतिक अवस्था के लिए ‘जय श्री राम’ ही सबसे बड़े पालनहार हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को जय श्री राम के सहारे ही बीजेपी बराबर की टक्कर दे पाई। जय श्री राम कार्ड खेलकर ही उसे सफलता मिली, इसमें कोई दो राय नहीं है।

सांकेतिक फोटो।

सीएम योगी करेंगे राम मंदिर का शिलान्यास

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय राम मंदिर ट्रस्ट ने हावड़ा में राम मंदिर बनाने की घोषणा की है। इतना ही नहीं इसका शिलान्यास खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ करेंगे। बताते चलें कि इससे पहले भी योगी आदित्यनाथ की हिंदूवादी नेता की छवि का बीजेपी ने भरपूर इस्तेमाल बंगाल के लिए किया है। अब 15 सितंबर को हावड़ा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे। गौरतलब है कि बंगाल में बीजेपी और टीएमसी आमने-सामने हैं। राज्य में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

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बीजेपी हर हाल में सत्ता में आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। यही वजह है कि बीजेपी के जय श्री राम, अब यूपी से बंगाल की राह पर चल चुके हैं। यहां अहम बात यह है कि बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला करते-करते अगर तृणमूल भी नरम हिंदुत्व की राह पर चल पड़ती है तो इसके बिल्कुल अलग प्रभाव देखने को मिलेंगे। हांलाकि बीजेपी से उसका मुद्दा छिनना कोई आसान काम नहीं है लेकिन इतना तय है कि अगर टीएमसी ने अपनी जय श्री राम के विरोध की लाइन नहीं छोड़ी तो आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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