समरनीति न्यूज, बांदा : ‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं..। बांदा शहर में रामचरित मानस की यह पंक्तियां हूबहू सटीक बैठ रही हैं। ये बात और है कि इसका आध्यमाकि अर्थ अलग है, लेकिन फिलहाल तो कथित मतलब ही साफ-साफ स्थापित हो रहा है यानि जो समर्थ है उसके सभी दोष माफ हैं।
जनमानस ने सराहा, कहा-फुटपाथ से कब्जा हटे
दरअसल, ‘समरनीति न्यूज’ ने शनिवार को शहर के चिल्ला रोड पर स्थित सिद्दीकी कांप्लेक्स में चल रहे माॅल, माॅय बाजार के सड़क पर कब्जे की खबर को प्रकाशित किया था।
इसे लोगों ने काफी सराहा। दरअसल, आम लोगों का कहना था कि फुटपाथों पर कब्जा रहेगा तो पैदल लोग कहां से निकलेंगे। बात भी सही है, लेकिन प्रशासन या पुलिस की ओर से इस कब्जे को हटाने की दिशा में अबतक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
फुटपाथ पर सड़क तक जनरेटर-झंडे और गेट भी सजा
दरअसल, बांदा शहर में चिल्ला यानि कानपुर तक जाने वाली सड़क पर इंदिरानगर में सड़क के एक तरफ सिद्दीकी काम्पलेक्स है।
बिना पार्किंग के व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहे इस भवन में माय बाजार नाम का माॅल चल रहा है। माॅल संचालक की दादागिरी का आलम यह है कि सड़क के फुटपाथ पर अपना आटोमेटिक बड़ा जनरेटर खड़ा कर रखा है। वहीं माल का गेट भी फुटपाथ पर बनाकर खड़ा कर दिया है। यानि माॅल की पार्किंग भी सड़क पर, जनरेटर भी सड़क पर और यहां तक कि गेट भी सड़क पर सजा खड़ा है।
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कुछ दिन पहले जिला प्रशासन ने अवैध कब्जों को लेकर काफी अच्छा काम किया। बीडीए यानि बांदा विकास प्राधिकरण की ओर से सराहनीय कार्य किए गए। बीडीए ने, न सिर्फ कब्जे हटवाए, बल्कि नोटिस भी जारी किए।
पार्किंग की जगह नहीं, सड़क पर खड़ी होती गाड़ियां
अब अधिकारी राजनीतिक दवाब में नजर आ रहे हैं। क्या प्रशासन सड़क के फुटपाथ पर रखे जनरेटर और बनाए गए गेट नहीं हटवाने की इच्छा शक्ति नहीं रखता। यह सोचने वाली बात है। देखते हैं कि प्रशासन इस दिशा में कब कदम उठाता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि एक नेता जी के दवाब में माल संचालक इस कदर दादागिरी पर उतारू है।
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