– केंद्र सरकार के ‘सोशल मीडिया हब‘ बनाकर देश के नागरिकों के आनलाइन डेटा पर निगरानी करने के फैसले पर सुप्रीमकोर्ट सख्त, व्हाट्सएप-इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे मंचों की निगरानी चाहती है सरकार
जरनल डेस्कः केंद्र सरकार द्वारा आम नागरिकों के आनलाइन डेटा की निगरानी के लिए सोशल मीडिया हब बनाने के फैसले पर सुप्रीमकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक की जनहित याचिका पर सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर व जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार से यह बात कही।
चीफ जस्टिस वाली पीठ ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है। साथ ही अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल से इस मामले में सहयोग भी मांगा है। पीठ ने पूछा है कि क्या सरकार देश के नागरिकों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करना चाहती है। क्या यह निगरानी राज बनाने जैसा नहीं होगा। मोइत्रा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने कहा है कि सरकार ने आवेदन मंगाए और एक साफ्टवेयर के लिये निविदा 20 अगस्त को खुलने वाली है जो व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों की पूरी तरह निगरानी करेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने अदालत में कहा कि वे (केंद्र सरकार) सोशल मीडिया हब बनाकर सोशल मीडिया की विषयवस्तु की निगरानी करना चाहते हैं। इसपर सुप्रीमकोर्ट के जजों की पीठ ने कहा कि वह 20 अगस्त को टेंडर खुलने के पहले ही 3 अगस्त के लिए इसे सूचीबद्ध कर रही है। साथ हीअटॉर्नी जनरल या सरकार का कोई भी विधिक अधिकारी इस मामले में न्यायालय की सहायता करेगा।