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बुंदेलखंडः मासूम लाडलों को टारगेट बना रहीं बीमारियां, रहें सतर्क और बरतें सावधानियां 

बीमार बच्चे की जांच करते डाक्टर विक्रम।

समरनीति न्यूज, बांदाः बदलते मौसम में चिपचिपाहट और उमस भरी गर्मी में तमाम तरह के संक्रमण सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में बुंदेलखंड में इस समय बच्चों में संक्रामक बीमारियां तेजी से पैर पसार रही हैं। खासकर आपके मासूम लाडलों को बीमारियां ज्यादा आसानी से टारगेट बना लेती हैं। ऐसे में डाक्टर की सलाह है कि अपने बच्चों का ज्यादा ख्याल रखें। खुद सतर्क रहें और सावधानियां भी बरतें। ताकि बीमारियां घर के आसपास न भटक सकें और आपके हंसते-खेलते बच्चों को बीमार न बना सकें। कौन सी बीमारियां किन वजहों से और किन हालातों में आपको परेशान कर सकती हैं और इनको कैसे रोका जा सकता है और बीमार होने पर बच्चों को सबसे पहले कैसे संभाला जाए, क्या घरेलू ट्रीटमेंट दिया जाए। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर हमने बांदा के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर विक्रम से बातचीत की। आइये जानते हैं उन्होंने बातचीत में बच्चों के पैरेंट्स को क्या टिप्स दिए..

डाक्टर बोले, इन बीमारियों का ज्यादा खतरा 

डाक्टर विक्रम ने बताया है कि मौजूद वक्त में मौसम तेजी से अपना रुख बदल रहा है। कभी बारिश के साथ थोड़ी ठंड सी हो जाती है, वरना गर्मी। बरसात का समय संक्रमण को ज्यादा प्रभावी बना देता है और बीमारियां छोटे बच्चों को आसानी से अपनी चेपट में लेने लगती हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इसमें थोड़ी सी भी सावधानी बरतें तो बीमारियां बच्चों के आसपास भी नहीं भटक पाएंगी।

डाक्टर बताते हैं कि इस मौसम में बच्चों को तेज धूप में न जाने दें। अगर जरूरी हो तो सिर ढककर ही ले जाएं। गर्मी से बच्चों का बचाव करें। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं। ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न होने पाए। ज्यादा ठंडा पानी कतई न दें। एसी या कूलर से सीधे धूप में न जाने दें। इसी तरह तेज धूप से एकदम एसी के संपर्क में न ले जाएं। डाक्टर बताते हैं कि इस समय डायरिया, डाइसेंट्री, वायरल इंफेक्शन, निमुनिया, दिमागी बुखार, एलर्जी, स्कील प्राब्लम जैसी बीमारियों से पीड़ित बच्चे ज्यादा आ रहे हैं।

बुखार के साथ शरीर अकड़ जाए तो उठाएं ये कदम 

डाक्टर बताते हैं कि अगर बच्चे को तेज बुखार आए और शरीर अकड़ जाए। सिरदर्द भी हो तो समझ लीजिए कि यह दिमागी बुखार के लक्षण हैं। यानी बच्चा फेबराइल कल्वलशन की चेपट में आ रहा है। डाक्टर बताते हैं कि इस स्थिति में अगर डाक्टर के पास तुरंत जाना संभव न हो तो उसे उम्र और वजन के अनुसार पेरासिटामोल, दवा की एक खुराक दें। सिर पर ठंडे पानी की पट्टियां भी रखें। इसके बाद जितनी जल्दी हो बच्चे को नजदीक के डाक्टर के पास ले जाएं और उसका ट्रीटमेंट शुरू कराएं।

वायरल इंफेक्शन और एलर्जी से ऐसे करें बचाव 

वायरल इंफेक्शन के चलते बच्चों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। बुखार के साथ पेट की गड़बड़ी और दूसरी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। डाक्टर बताते हैं इन हालात में बुखार से घरेलू तौर पर कुछ समय के लिए गिली पट्टी रखकर निपटा जा सकता है लेकिन चिकित्सक को जल्द ही दिखाना चाहिए। यदि बच्चे के शरीर पर फुंसियां, दाने और फोड़े जैसी समस्या उभर आई है तो ये एगजेमा, स्कीन इंस्फेक्शन की बीमारी है। इसमें जहां तक हो सके स्कीन को साफ और सूखा रखना चाहिए। बच्चों को खेलते समय साफ जगह पर रखना होगा। ताकि धूल-मिट्टी से संक्रमण की गुंजाइश न रह जाए।

डायरिया-डायसेंट्री में बच्चे का रखें ऐसे ख्याल 

अक्सर बच्चों की तबियत रात में खराब होती है ऐसे में दूर रहने वाले परिवार, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का तुरंत डाक्टर के पास पहुंचना संभव नहीं होता है। इन हालातों में कुछ प्रारंभिक उपाये घर पर किए जा सकते हैं। जैसे बच्चे को उल्टी-दस्त होने पर उसे ओआरएस का घोल तुरंत देना शुरू कर दें। ताकि उसके शरीर में पानी की कमी न होने पाए। फिर जितनी जल्दी हो सके डाक्टर को दिखाएं और इलाज कराएं।

बुखार-खांसी व पसली चलना, निमुनिया के लक्षण  

अगर आपके बच्चे को बुखार और खांसी की समस्या है और उसकी पसलियां चल रही हैं तो ये निमुनिया के लक्षण हैं। ऐसे में प्रारंभिक तौर पर बुखार के लिए गिली पट्टी रखी जा सकती है। इससे कुछ राहत मिलेगी। लेकिन जल्द ही नजदीक के डाक्टर को दिखाएं ताकि बच्चे को सही इलाज मिल सके और वह स्वस्थ हो जाए।

बीमार बच्चों को झाड़-फूंक नहीं, दवा की जरूरत 

बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में अक्सर ऐसी बातें सामने आती हैं कि बीमार बच्चों को माता-पिता डाक्टर के पास नहीं ले जाते। बल्कि उनको झाड़-फूंक के लिए ओझा और तांत्रिकों के पास लेकर पहुंच जाते हैं। इससे बच्चे की परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है और कई बार समय पर इलाज न मिलने से उसकी जान पर बन आती है। डाक्टर विक्रम कहते हैं बुखार और तेजी से शरीर अकड़ जाने के लक्षण बीमारी के होते हैं और अक्सर माता-पिता इसे ऊपरी हवा और दूसरे अंधविश्वास से जोड़ लेते हैं जो बच्चे की जान के लिए खतरा बन जाता है। परिजनों को ऐसा नहीं करना चाहिए। कुल मिलाकर बीमारियां बच्चों को आसानी से टारगेट जरूर करती हैं लेकिन अगर माता-पिता एलर्ट रहें तो आपके बच्चे के आसपास बीमारियां फटकने भी नहीं पाएंगी। आपका बच्चा स्वस्थ रहेगा।