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लोकसभा चुनावः बांदा-सीतापुर से पूर्व दस्यु मलखान सिंह ने ठोकी टिकटों की दावेदारी, बड़े-बड़े ‘धुरंधरों’ के बिगड़ेंगे समीकरण

बांदा में पत्रकारों से मुखातिब चंबल के पूर्व दस्यु मलखान सिंह।

समरनीति न्यूज, डेस्कः अखिल भारतीय खंगार क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय संरक्षक एवं चंबल के पूर्व दस्यु मलखान आने वाले लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में हैं। अपनी राजनीतिक पारी को लेकर बेहद आशांवित पूर्व दस्यु मलखान प्रदेश में अपने 55 लाख सजातीय वोटों के दम पर यूपी की राजनीतिक में गैमचैंजर बनने की राह पर हैं। ऐसे में भाजपा से जुड़े रहे मलखान का कहना है कि फिलहाल दो टिकटों की मांग कर चुके हैं।

मलखान मैदान में उतरे तो खेल से बाहर हो जाएंगे कई बड़े नाम  

अगर टिकट मिलता है तो ठीक, नहीं तो कांग्रेस समेत दूसरे दलों से जुड़ने के विकल्प खुले हैं। मलखान सिंह का कहना है कि अकेले बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र में खंगार समाज के 2 लाख वोट हैं लेकिन सभी दलों ने खंगार समाज को अबतक धोखा देने का काम किया है। मलखान ने कहा कि वह चुनाव जीतकर खंगार समाज के साथ-साथ पिछड़ों, दलितों और शोषितों के साथ महिलाओं के सम्मान व अधिकारों के लिए काम करेंगे। अपने पुराने जीवन को लेकर मलखान ने कहा कि उन्होंने हमेशा उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई है। आगे भी उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

पूर्व डाकू मलखान सिंह।

मलखान ने कहा, प्रदेश में 55 लाख खंगार समाज के वोटर  

मलखान ने कहा कि फिलहाल भाजपा से लोकसभा में दो सीटें मांगी हैं। एक बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट है। दूसरी सीट सीतापुर जिले की मिश्रिख लोकसभा सीट है। बहरहाल, मलखान की राजनीतिक पारी कितनी सफल होगी यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि अगर बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से पूर्व दस्यु मलखान सिंह या उनका कोई आदमी चुनावी मैदान में ताल ठोकता है तो यहां चुनाव काफी रौचक हो जाएगा।

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इसकी एक वजह यह भी है कि बुंदेलखंड के चुनावों में डकैतों का हस्तक्षेप शुरू से किसी ने किसी तरह रहा जरूर है। बीहड़ की तरह ही बुंदेलखंड भी डकैतों की कर्मस्थली के रूप में जाना जाता है। ऐसे में मलखान सिंह की आमद यहां के चुनावी माहौल में सरगर्मी बढ़ा देंगी।

मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह कदम..

दरअसल, चंबल में कभी दहशत का नाम रहे मलखान रविवार को बुंदेलखंड के बांदा शहर में आए हुए थे। यहां आने पर खंगार क्षत्रिय महासभा द्वारा अपने राष्ट्रीय संरक्षक मलखान का भूरागढ़ के पास फूल-मालाएं पहनाकर बड़े जोर-शोर से स्वागत करने की तैयारी की गई।

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एक मझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह मलखान सिंह ने हाल ही में पुलवामा में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत का दुख बताकर फूल मालाएं स्वीकारने से इंकार कर दिया। इसके बाद समर्थक काफिले की शक्ल में उनको लेकर अलीगंज स्थित रामलीला मैदान के सभागार पहुंचे। वहां उन्होंने समाज के संस्थापक महाराजा खेत सिंह खंगार के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्र्म का शुभारंभ भी किया। साथ ही शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।

मलखान सिंह।

चंबल में दहशत का नाम था मलखान

बताते चलें कि 1980 के दशक में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने गैंग के साथ सरेंडर करने वाले मलखान उस जमाने के सबसे खूंखार डकैत थे।

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बताया जाता है कि छह फीट लंबे दस्यु सरगना के कंधे पर हमेशा राइफल रहती थी। उनके उपर 32 पुलिस कर्मियों समेत कुल 185 हत्याओं का आरोप रहा है। सरेंडर के बाद उनको भूदान आंदोलन में रहने-बसने के लिए जमीन दी गई थी। बातचीत में मलखान ने बताया कि फिलहाल उनका ज्यादातर समय अपने गांव भिंड में मंदिर में पूजापाठ में गुजरता है।