समरनीति न्यूज, बांदा : एक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बांदा शहर के सौंद्रीयकरण की तस्वीर दिखाई जा रही है। वहीं दूसरी ओर बांदा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के दोहरे मापदंड से शहर बेहाल है। शहर में चौराहों के चौड़ीकरण के लिए प्राधिकरण के अधिकारी अतिक्रमण हटवा रहे हैं। वहीं कुछ जगहों पर अतिक्रमण को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं।
बीडीए के सामने सरकारी जमीन पर 10-12 अवैध दुकानें
प्राधिकरण आफिस के ठीक सामने खुलेआम अतिक्रमण को संरक्षण दिया जा रहा है। सरकारी नजूल की जमीन पर बनीं 10-12 अवैध दुकानें बनी खड़ी हैं। इनका रास्ता सड़क पर लोहे की सीढियों लगाकर दिया गया है। पास में सरकारी जमीन पर करोड़ों की लागत से अवैध बारात घर और स्कूल भवन बनने की भी चर्चा है। इसपर बीडीए अधिकारी जानकर भी आंखें मूंदे बैठे हैं।
यह आम जनमानस में चर्चा का विषय है। करीब एक साल-डेढ़ साल पहले इन दुकानों को पूर्व अधिकारियों ने सील कर दिया था। तोड़े जाने की तैयारी चल रही थी। चर्चा है कि बीडीए के एक अधिकारी ने एकाएक प्रभावित होकर इन अवैध दुकानों के पक्के निर्माण को मंजूरी दे दी।
शहर में चर्चा का विषय बना जगह-जगह फैला अतिक्रमण
दुकानों का रास्ता भी सड़क पर लोहे की सीढ़ियां से बनाया गया है। स्थानीय लोग तरह-तरह के आरोप बीडीए अधिकारियों पर लगा रहे हैं। इसकी जायज वजह भी है। नजूल की जमीन पर बीडीए दफ्तर के सामने 10-12 अवैध दुकानों का होना बिना अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं। अब लोग यहां तक कह रहे हैं कि बीडीए अधिकारियों को शर्म तक नहीं आती…।
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