मनोज सिंह शुमाली, बांदा : जिले में निकाय चुनाव तेजी पकड़ चुका है। बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर बांदा में जिस तरह से अंदरूनी खींचतान और नाराजगी सामने आई, वह किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में रूठे हुए अपनों को मनाना बड़ी चुनौती है। गौरतलब है कि पार्टी हाईकमान निकाय चुनावों को सेमीफाइनल मानकर चल रहा है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की यह नसीहत
दरअसल, बीजेपी में टिकट मांगने वालों की कतार काफी लंबी थी। अंतिम दिन तक कानपुर से लेकर लखनऊ तक टिकट को लेकर महिला कार्यकर्ताओं की सरगर्मियां रहीं। महिला मोर्चा की कई नेताओं के साथ-साथ दूसरे नेता भी अपनी पत्नियों के लिए टिकट के सपने संजोए थे। अब जिनको टिकट नहीं मिला, उनमें कहीं न कहीं नाराजगी होना स्वभाविक है। ऐसा हर चुनाव और हर दल में होता भी है। इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन समय के साथ सबकुछ ठीक करना भी जरूरी होता है।
रणनीति बिगाड़ सकती है नाराजगी
कहा भी जाता है कि राजनीति में विपक्षियों की रणनीति से ज्यादा अपनों की नाराजगी भारी पड़ जाती है। ऐसे में स्थानीय नेताओं को अतिविश्वास का शिकार होने से बचते हुए अपना ध्यान रूठे हुए को मनाने में लगाना चाहिए। बांदा में स्थिति थोड़ी जुदा है। हालांकि पार्टी ने ठोक-बजाकर ही टिकट दिया होगा, फिर भी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी खुद कह चुके हैं कि बागियों को मनाने की जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं की होगी। यह बहुत जरूरी है कि स्थानीय नेता अति विश्वास का शिकार होने से बचें और अपना थोड़ा ध्यान रूठे हुए नेताओं को मनाने में भी लगाएं।
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