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जानिए बुंदेलखंड और जानिए अपनी लोकसभा सीट जालौन को..

उरई (जालौन) रेलवे स्टेशन।

मनोज सिंह शुमाली, पॅालिटिकल डेस्कः जालौन पूर्वी-मध्य भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह बुंदेलखंड (यूपी) के प्रमुख जिलों में से एक है। यहां उरई, कौंच, कालपी आदि तहसीलें है। इसमें कालपी का विशेष महत्व है। यहां हिन्दू-मुस्लिम धर्मों के अनेक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। जालौन के कालपी में नौ रत्नों में एक बीरबल का 1528 में जन्म हुआ था। बीरबल ने कालपी में अपना महल बनवाया था, जो आज जर्जर हाल में है। जालौन जिले में देशभर में प्रसिद्ध आल्हा उदल के मामा माहिल का एक तालाब भी है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। जालौन के रामपुर थाने में पांच नदियों- पहुज, बेतवा, यमुना, सिंध, चंबल का संगम होता है।

उत्तर में यमुना नदी से है सीमाबद्ध

यह एक रमणीय स्थल है। उत्तर में यमुना नदी द्वारा सीमाबद्ध है। बेतवा प्रणाली सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराती है। जालौन की फसलों में गेहूं, चना व सरसों शामिल हैं। कालपी नगर के समीप बबूल के वृक्षों के बागान हैं। जालौन का प्रशासनिक मुख्यालय उरई, कानपुर से 105 किलोमीटर दक्षिण में है, जिससे वह सड़क व रेल मार्ग से जुड़ा है। रामपुर कृषि उपज का व्यापारिक केंद्र है। इसके प्रमुख ग्राम बंगरा रूरा कमशेरा मिझोना निचाबदी है। 2006 में भारतीय पंचायती राज्य मंत्रालय ने इसे भारत के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल किया था। इस सूची में शामिल होने वाला यह उत्तर प्रदेश का 34 वां जिला है।

यहां की आबादी/शिक्षा की स्थिति

2011 की जनसंख्या के अनुसार जालौन जिले की आबादी 1,689,974 है, जिनमें 9,06,092 पुरुष और 7,83,882 महिलायें मौजूद है। यहां अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 27.7 प्रतिशत है। अगर बात करे जालौन की साक्षरता दर की तो यह 73.75 प्रतिशत है। पुरुषों की साक्षरता दर 72.12 प्रतिशत, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 53.8 प्रतिशत है। जालौन का औसत लिंगानुपात 865 है। शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 883 जबकि ग्रामीण इलाकों में 859 है। चुनाव आयोग की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार जालौन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 16,84,988 मतदाता हैं। इन मतदाताओं में 9,22,864 पुरुष और 7,62,124 महिला मतदाता हैं। 2014 के आमचुनाव में तकरीबन 44.25 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। जालौन की लोकसभा सीट यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से एक है।

शुरू से अबतक राजनीतिक घटनाक्रम

यह सीट अस्तित्व में आने के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है। इस लोकसभा सीट में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती है जिसमें भोगनीपुर, माधोगढ़, कल्पी, उरई और गरौठा शामिल है। इसमें उरई की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर 1962 में पहला चुनाव हुआ था। 1962 से लेकर 1971 तक इस सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कब्जा रहा। जहां 1977 में इस सीट पर भारतीय लोकदल ने कब्जा किया तो अगले चुनाव 1980 में पुन: यह सीट कांग्रेस की झोली में आ गयी। 1984 में कांग्रेस फिर इस सीट पर कब्जा करने में कामयाब रही लेकिन अगले चुनाव में यह सीट नहीं बचा पाई।

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जनता दल के राम सेवक भाटिया ने चुनाव में जीत हासिल की। 1991 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना खाता खोला और लगातार तीन लोकसभा चुनाव में विजय पताका फहराया। 1991 से 1998 तक जिस सीट पर बीजेपी का कब्जा था वह 1999 के चुनाव में उसके हाथ से निकल गई। इस सीट पर बसपा ने जीत हासिल की लेकिन अगले चुनाव में इसे बचाने में कामयाब नहीं हो सकी। एक बार फिर यहां की जनता ने बीजेपी पर विश्वास दिखाते हुए भानु प्रताप को चुना लेकिन 2009 में नकार दिया। यह सीट सपा के खाते में चली गई लेकिन 2014 में पुन: बीजेपी अपने कब्जे में करने में कामयाब हुुई।

लोकसभा वर्ष और पार्टी नाम

  1. तीसरी 1962 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राम सेवक 
  2. चौथी 1967 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सी.आर.सेवक
  3. पांचवीं 1971 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस चौधरी राम सेवक
  4. छठीं 1977 भारतीय लोकदल रामचरण
  5. सातवीं 1980 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) नाथूराम शाक्यवार
  6. आठवीं 1984 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लच्छीराम 
  7. नौवीं 1989 जनता दल रामसेवक भाटिया 
  8. दसवीं 1991 भारतीय जनता पार्टी गया प्रसाद कोरी 
  9. ग्यारहवीं 1996 भारतीय जनता पार्टी भानु प्रताप सिंह 
  10. बारहवीं 1998 भारतीय जनता पार्टी भानु प्रताप सिंह 
  11. तेरहवीं 1999 बहुजन समाजवादी पार्टी बृजलाल बरी 
  12. चौदहवीं 2004 भारतीय जनता पार्टी भानु प्रताप सिंह 
  13. पंद्रहवीं 2009 समाजवादी पार्टी श्री घनश्याम 
  14. सोलहवीं 2014 भारतीय जनता पार्टी भानु प्रताप सिंह

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बुंदेलखंड का नक्शा।

जानिए बुंदेलखंड के बारे में खास बातें 

बुंदेलखंड भारत के मध्य का भाग है, जो उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में पड़ता है। इसका विस्तृत इतिहास है। उत्तर प्रदेश के सात जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर का भूभाग बुंदेलखंड कहलाता है। लगभग 29 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस इलाके में कुल 24 तहसीलें, 47 ब्लाक और जनसंख्या लगभग एक करोड़ है। हालांकि राजनीतिक स्तर पर जिस पृथक राज्य की परिकल्पना है उसमें तेइस जिले हैं जिनमें मप्र के भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, ग्वालियर, दतिया, जबलपुर, टीकमगढ़, भिंड, छतरपुर, पन्ना और सतना भी शामिल हैं।

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बुंदेलखंड चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शायद इसीलिए चुनाव करीब आते ही यहां राजनीतिक दलों की आवाजाही बढ़ जाती है। इस क्षेत्र के साथ सबसे बड़ी विडंबना है कि यहां नेता विकास के सिर्फ बढ़-चढ़कर वादे करते है। वादे कभी धरातल पर साकार नहीं होते। शायद इसीलिए यह क्षेत्र तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में जितना परेशान किसान है उतना ही अन्य लोग। फिलहाल हम आपको बुंदेलखंड की राजनीति बताने जा रहे है कि कौन सी पार्टी का यहां कितने साल कब्जा रहा है। बुंदेलखंड में चार लोकसभा क्षेत्र आता है। बांदा, जालौन, हमीरपुर और झांसी लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा रोचक रहा है।