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कारनामा-ए-जलनिगमः काम पूरा फिर भी चाहिए लोन, शासन ने उठाए सवाल तो अफसरों की हवाइयां उड़ीं

समरनीति नीति न्यूज, कानपुरः खबर कुछ ऐसी है कि शहर में सड़कों के निर्माण के लिए जल निगम ने शासन से लोन मांगा था लेकिन शासन ने लोन पर ही कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे जल निगम अधिकारियों के होश उड़ गए। नगर विकास विभाग के संयुक्त सचिव उमाशंकर सिंह ने सवाल करते हुए विभाग से जवाब मांग लिया है कि आखिर जब कार्य पूरा कराया जा चुका है तो लोन की अब क्या जरूरत है। इस पर जलनिगम ने भी जवाब दाखिल किया है। पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर विकास योजना के तहत जल निगम ने ब्याज मुक्त 61.31 करोड़ के लोन की डिमांड की गई थी।

ऐसे मिले सवालों के जवाब 

शासन के सवालों का जवाब देते हुए जल निगम ने कहा है कि योजना के अंतर्गत कहीं पर 1 मीटर सड़क खोदने के बाद 5 मीटर सड़क बनानी पड़ी। इसमें ज्यादा बजट व्यय हुआ है। कानपुर पेयजल योजना फेज-1 में इनर ओल्ड एरिया में जलापूर्ति कार्य के लिए 270 करोड़ की डीपीआर बनाई गई थी, जिसके अंतर्गत कुल 281556.11 वर्ग मीटर सड़क का निर्माण किया गया। कार्य के दौरान 644547 वर्ग मीटर सड़क का निर्माण अतिरिक्त किया गया। इसमें 137 करोड़ रुपए खर्च हुए। बजट को पास कराने के लिए नियमानुसार 20 पर्सेंट से अधिक लागत होने पर कई मदों में कटौती की गई। इसे राज्य सरकार द्वारा पास किया गया था।

ऐसे किए गए थे सवाल 

  1. जेएनएनयूआरएम योजना के अंतर्गत पाइप डालने के बाद सड़कों के निर्माण का बजट भी निहित होता है, तो फिर बजट की डिमांड क्यों की गई।
  2. राज्य विधान मंडल में विभिन्न प्रश्नों के दौरान उपलब्ध कराई गई सूचना में कार्यों को पूर्ण बताया गया तो फिर किस आधार पर लोन की डिमांड की गई।
  3. नगर निकाय को योजना अगर ट्रांसफर कर दी जाती है, जो इसमें निकाय का यह दायित्व बनता है कि जिन सड़कों का निर्माण नहीं हुआ है, उन्हें अपने खर्चे पर पूरा करें।