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बुंदेलखंड को हराभरा बनाने को 60 लाख पौधे लगाएगी सरकार

आम के आम, गुठलियों के दाम की तर्ज पर मिलेगा फायदा   

झांसीः सरकार बुंदेलखंड को हरा-भरा करने बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यही वजह है कि मानसून आने से पहले ही सरकार ने बड़े स्तर पर पौधरोपण की तैयारियों कर ली हैं। इतना ही नहीं पौधरोपण की इन तैयारियों के तहत सरकार ऐसी योजना लाई है जिससे गरीबों, किसानों और मनरेगा जाबकार्ड धारकों को भी इसका पूरा लाभ मिल सके। यानी आम के आम और गुठलियों के दाम के तहत पौधरोपण फायदे का सौदा साबित करने की सरकार की मंशा है। योजना के तहत मंडल के तीनों जिलों में पौधरोपण होगा। झांसी में लगभग 7 लाख, जालौन में साढ़े 34 लाख से ज्यादा और ललितपुर में लगभग 19 लाख पौधे लगाए जाने हैं। 

पर्यावरण प्रेमी भी दे सकते हैं सहयोग

सरकार आम लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे की इस मुहीम से जोड़ना चाहती है। इसके लिए एक वृक्ष एक योजना के तहत ऐसे लोग जो पौधरोपण में रुचि रखते हैं वह भी इसमें भागीदारी कर सकते हैं। ऐसे लोग अपने खाली पड़ी जमीन पर पेड़ लगवा सकते हैं। साथ ही अगर उनके पास जमीन नहीं है तो वे 150 रुपए प्रति पौधा मदद देकर पेड़ लगा सकते हैं। ऐसे पौधे निजी जमीन पर पर लगाकर स्मृति वन बनाए जाने की भी योजना है। साथ ही आमजन ट्रीगार्ड देना चाहते हैं तो उनको 2 हजार प्रति पौधा के हिसाब से सहयोग देना होगा।

योजना के तहत लगेंगे फल वाले पौधे

मुख्यमंत्री फलोद्यान योजना के तहत खेतों के किनारे मेढ़ों पर फलों के पौधे लगाए जाएंगे। इनमें आम, नींबू, आंवला, अमरूद और बेर के पौधों को प्रमुख रूप से शामिल किया गया है। इन पौधों को मौसम के अनुरूप और अलग-अलग संख्या के तहत चयन किया गया है। पौधों की सुरक्षा के लिए ट्रीगार्ड लगवाए जाएंगे। तीन साल तक पौधों की पूरी देख-रेख रखी जाएगी। ताकि उनको कोई जानवर नुकसान ना पहुंचा सके।

आमजन भी कर सकते हैं पौधरोपण 

पौधरोपण के दौरान लोग मुख्यमंत्री सामुदायिक वानिकी योजना का फायदा भी उठा सकते हैं। इस योजना के तहत सड़क, नहर के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र, छात्रावास, ग्राम समाज और शवगृह के आसपास पौधरोपण कराया जा सकता है। योजना के अंतर्गत नहर के किनारे 400, सड़क के किनारे 200 और सामुदायिक स्थलों पर 625 पौधे प्रति हेक्टेअर लगाए जाने हैं।

पौधों को बचाना सबसे बड़ी है चुनौती

सरकार हर साल बड़ेस्तर पर बुंदेलखंड में पौधरोपण कराती है। बीती सरकारों ने भी रिकार्ड कायम करते हुए पौधरोपण कराए। लेकिन पौधरोपण से ज्यादा बड़ी चुनौती इस बुंदेली क्षेत्र में रोपित पौधों को संरक्षित करना है बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों और अन्य वन्यजीवों से न तो किसानों की फसलें सुरक्षित रह पाती हैं और न रोपित होने वाले पौधे ज्यादा दिन बच पाते हैं। यही वजह है कि रोपित होने के बाद कुछ दिन बाद ही पौधे बर्बाद हो जाते हैं और वे पेड़ का रूप नहीं ले पाते हैं।