समरनीति न्यूज, बांदा : कानपुर के चिड़ियाघर में दो मुर्गों की मौत के बाद हुई जांच में स्पष्ट हो गया कि उनमें बर्ड फ्लू था। कानपुर जिलाधिकारी ने रात में बैठक बुलाकर एहतियातन कदम उठा लिए हैं। चिड़िया घर के एक किमी के दायरे में पक्षियों व मुर्गे-मुर्गियों को मारा जा रहा है। वहीं 10 किमी के दायरे में मांस की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इसी क्रम में बांदा जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है। प्रशासन ने पशु विभाग और संबंधित दूसरे अधिकारियों को भी सक्रिय कर दिया है। पक्षियों पर नजर रखी जा रही है। बताते हैं कि पोल्ट्री फार्म और दूसरे जगहों पर मुर्गे-मुर्गियों की जांच की जा रही है।
DM के आदेश, पशु विभाग सक्रिय
जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह ने सतर्कता के तहत एमपी यानी मध्य प्रदेश में आयातीत होने वाले मुर्गे-मुर्गी और मीट पर रोक लगा दी है।
जिलाधिकारी के आदेशों पर जिला पशु चिकित्साधिकारी राजीव धीर ने पक्षियों की सैंपुलिंग बढ़ाते हुए वन विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क साधा है।
जांच को बरेली भेजे जा रहे हैं सैंपुल
जिला पशु चिकित्साधिकारी धीर ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों से कहा गया है कि वन क्षेत्र में जलाशयों पर आने वाले पक्षियों पर नजर रखें। अगर कोई पक्षी मरता है तो उसकी जानकारी पशु विभाग को दें। ताकि उसकी जांच कराई जा सके।
जिला मुख्यालय पर बना कंट्रोल रूम
बताया कि पक्षियों के सैंपुल बरेली स्थित आईबीआरआई यानी जांच लैब भेजे जा रहे हैं। साथ ही किसी भी तरह की सूचना साझा करने के लिए सदर पशु जिला चिकित्सालय में एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
नियम विरुद्ध दुकानें बनी चुनौती
हालांकि, शहर में जगह-जगह नियम विरुद्ध खुली मुर्गा-मुर्गी की दुकानें विभाग के लिए चुनौती हैं। अभी कुछ दिन पहले ही तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट और सिटी मजिस्ट्रेट ने अभियान चलाया था।
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शहर के इंदिरानगर इलाके में पावर हाउस के सामने मीट-मुर्गे दुकानदारों की दुकाने हटाई गई थीं, लेकिन कुछ ही दिन बाद फिर से ये दुकानें लग गई हैं। पूरी दबंगई से दुकानें सड़क किनारे लगाकर अतिक्रमण कर लिया गया है। इतना ही नहीं खुले में मीठ बेचा जाते हैं। बर्ड फ्लू के खतरे के बावजूद इन दुकानों पर बीमार किस्म के मुर्गे-मुर्गी खुलेआम बिक रहे हैं।