मनोज सिंह शुमाली, बांदा : लोकल फेस वेल्यू पर होने वाले निकाय चुनावों को लेकर बांदा में सरगर्मियां तेज हैं। सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं। ऐसे में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। जैसे, नगर पालिका पर काबिज रही समाजवादी पार्टी में भी अंदरूनी खींचतान कम नहीं है। हालांकि, यह खींचतान तो पुरानी है, लेकिन इसकी ताजा वजह पार्टी द्वारा टिकटों की अदला-बदली को माना जा रहा है। पहले एक को टिकट दिया, फिर दूसरे को। दूसरे का काटकर फिर पहले वाले को दे दिया गया। इस अदला-बदली से पार्टी में अंदरूनी खींचतान तेज हो गई।
सपा के लिए न पहले वाले हालात और न समीकरण
बताते चलें कि पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी बांदा नगर पालिका का चुनाव जीती थी। हालांकि, बाद में राज्यपाल ने नगर पालिका अध्यक्ष को आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया। अब दोबारा सपा ने पूर्व अध्यक्ष की पत्नी को ही मैदान में उतारा है। गौर करने वाली बात यह है कि अब सपा के लिए न तो पहले जैसे हालात हैं और न ही समीकरण हैं। दूसरे दलों ने मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं।
साथ ही जातीय समीकरण भी तेजी से बदले हैं। ऐसा लगता है कि पार्टी नेता इस बात समझ नहीं रहे हैं। कहा जा सकता है कि सपा के कुछ नेता ओवर कांफिडेंस का शिकार हो गए हैं, क्योंकि उनकी तैयारियां धरातल पर नजर नहीं आ रही हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि टिकट कटने से कुछ नेता नाराज हैं, इसमें कोई शक नहीं है। उनको मनाने की कोशिशें जारी हैं। अपनी ही पार्टी के नेताओं की नाराजगी और अंदरूनी खींचतान सपा की चुनावी लड़ाई पर क्या असर डालती है। यह तो अब समय ही बताएगा।
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