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शख्सियत ‘आराधना’, बेजुबानों के नाम इनकी जिंदगी..

शख्सियत ‘आराधना’, बेजुबानों के नाम इनकी जिंदगी..

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मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो (बांदा) : वफादारी का जब कहीं जिक्र होता है तो इंसानों से पहले बेजुबान जानवरों का ख्याल आता है। फिर चाहे वह कुत्ता हो, बिल्ली हो या कोई गोवंश। इन बेजुबान वफादारों की सेवा का जिम्मा भी एक शख्सियत ने उतनी ही वफादारी से करने की ठानी है। इस शख्सियत का नाम है आराधना। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले की रहने वाली हाइली क्वालीफाइड आराधना सिंह एक रिटायर्ड कमिश्नर की बेटी हैं। कम उम्र में आराधना बेजुबानों की सेवा की जो अद्भुतगाथा लिख रही हैं, वह हर किसी के बस की बात नहीं है। रोज 40 किलो चावल, सब्जियों से बनता है बेजुबानों का खाना अन्ना पशुओं के लिए रोज डलवाती हैं 1 कुंटल भूसा जी हां, आराधना रोज करीब 40 किलो चावल का खाना पकवाकर स्ट्रीट डाॅग के लिए तैयार कराती हैं। फिर उसे रिक्शे से गली-गली कई जगहों पर बंटवाया जाता है। यह सिलसिला रोजाना चलता है। उनके खाने के इं...
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वीवीपीएटी की सभी पर्चियों के मिलान की मांग उठाई

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वीवीपीएटी की सभी पर्चियों के मिलान की मांग उठाई

Breaking News, Feature, Today's Top four News, उत्तर प्रदेश, भारत, लखनऊ, लोकसभा चुनाव -2019
समरनीति न्यूज, डेस्कः ईवीएम की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठ रहा है। पिछले दिनों मुंबई हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई में भी खुलाया हुआ था कि 20 लाख ईवीएम चुनाव आयोग के कब्जे में ही नहीं पहुंचा। विपक्षी दल भी लगातार ईवीएम पर सवाल उठा रहे है। इस बीच नागरिक समाज के सदस्यों ने एक बयान जारी कर लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ये सिफारिश की है कि वीवीपीएटी की पर्चियों को बैलेट पेपर के रूप में माना जाए और हर एक मतदाता पर्ची की गिनती की जाए। मांग करने वालों में अरुणा रॉय, जयति घोष, जस्टिस एपी शाह, संजय पारिख और सैयदा हमीद जैसे लोग शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि वोट एक नागरिक का मूल अधिकार है जो लोगों की इच्छा को वैधता और शक्ति देता है। मांग करने वालों में अरुणा रॉय, जयति घोष, जस्टिस एपी शाह, संजय पारिख और सैयदा ह...
एक ‘इंकार’ ने ऐसे बदले जज्बात कि आज दूसरों का दुख-दर्द मिटाना ही जिंदगी

एक ‘इंकार’ ने ऐसे बदले जज्बात कि आज दूसरों का दुख-दर्द मिटाना ही जिंदगी

Feature, Today's Top four News, उत्तर प्रदेश, लखनऊ, समरनीति स्पेशल
समरनीति न्यूज, लखनऊः अपनी उम्र के उस दौर का वो किस्‍सा ये कभी नहीं भूल पाएंगी जिसने इनके जीवन को एक मकसद दे दिया। उस वक्‍त इनकी उम्र 15 साल थी। सड़क पर गुजरते वक्‍त इनकी नजर एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी जो सड़क से गोबर उठाकर टोकरी में रख रही थीं। उस बुजुर्ग महिला ने उस टोकरी को उठाने में इनसे मदद मांगी, पर इन्‍होंने उसको साफ़ मना कर दिया। बुजुर्ग महिला के चेहरे पर बेचारगी के भाव देखे और आगे बढ़ गई, लेकिन उस वक्‍त का इनका इंकार रात-दिन आत्मग्लानि बनकर इनको झंकझोरता रहा। ऐसे करती हैं दूसरों की मदद  इस घटना ने इनकी सोच और जज्बात को इस कदर बदल दिया कि उन्होंने ठान लिया कि जीवन में किसी की भी मदद करने में खुद छोटा महसूसी नहीं करेंगी। बल्कि, बिना कहे दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़ेंगी। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की सोशल वर्कर शिल्‍पी पाहवा की। लोगों की मदद करन...