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आरएसएस बन सकता है भारत के लिए समस्या, रघुराम राजन ने कही ये बातें..

रघुराम राजन।

समरनीति न्यूज, स्टाफः राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) की सोच को लेकर अक्सर लोग बयान देते रहते है। इस बार आरएसएस की सोच पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ऊंगली उठाई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) का संकीर्ण वैश्विक नजरिया भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए समस्या बन सकता है। द वीक को दिए साक्षात्कार में रघुराम राजन ने कहा कि आरएसएस का संकीर्ण वैश्विक दृष्टिकोण भारत के लिए गतिरोध पैदा कर सकता है।

अटल जी को बताया महान शख्सियत, तारीफ की    

यह देश हमारे संस्थापकों नेहरू, गांधी के विचारों और हमारे संविधान की बुनियाद पर खड़ा है। इसलिए मैं मानता हूं कि आरएसएस के संकीर्ण नजरिए की वजह से यह बाहर के समुदायों के साथ भारत की विस्तृत भागीदारी को अधिक स्वतंत्रता नहीं देता। मेरे हिसाब से यह हमारे जैसी लोकतांत्रिक देश के लिए समस्या खड़ी करने वाला है, हम ऐसा नहीं होने दे सकते हैं। वह यहीं पर नहीं रूके। उन्होंने कहा कि यह आरएसएस का संगठनात्मक उद्देश्य है, जिससे वह सहमत नहीं हैं। हालांकि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ की।

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उन्होंने कहा कि, हांलाकि आरएसएस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसी महान शख्सियत को आकार दिया। हर संगठन में अच्छे लोग होते हैं, आरएसएस में भी अटल बिहारी वाजपेयी जैसे एक बहुत सम्मानीय और प्रशंसनीय शख्स रहे, जो एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ अच्छे इंसान भी थे। राजन अपनी तीसरी पुस्तक ‘द थर्ड पिलर’ को प्रमोट करने के लिए भारत में आए हैं। इस किताब का विमोचन 26 मार्च को हुआ था।

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राजन का कहना है कि यह किताब आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठनों के उद्देश्यों के खिलाफ है। मालूम हो कि रघुराम राजन उस समय चर्चा में आए थे, जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी पार्टी ने रघुराम राजन से सलाह करने के बाद ही न्यूनतम आय गारंटी योजना (न्याय) का खाका पेश किया है। ऐसी अफवाहें हैं कि चुनाव में विपक्षी गठबंधन के जीतने की स्थिति में रघुराम राजन को वित्त मंत्री बनाया जा सकता है। सितंबर 2013 में आरबीआई का गवर्नर पद संभालने से पहले रघुराम राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री थे।