मनोज सिंह शुमाली, बांदा : बांदा में निकाय चुनाव को लेकर माहौल पूरी तरह बना हुआ है। सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपने-अपने दावों के साथ मैदान में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस पार्टी भी चुनावी मैदान में है। लगातार शर्मनाक हार के कड़वे स्वाद चख रही कांग्रेस इस समय पूरे उत्साह और जोश में है। जिले में एक के बाद एक पार्टी जिस तरह से चुनाव हार रही है, उसे लेकर लोगों में चर्चा है कि क्या पार्टी प्रत्याशी अबकी बार अपनी जमानत बचा पाएंगे..? बताते चलें कि बांदा नगर पालिका से कांग्रेस ने पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित की पत्नी आदिशक्ति दीक्षित को मैदान में उतारा है। महिला नेता आदि शक्ति इससे पहले तिंदवारी से चुनाव लड़ चुकी हैं। वहां उनको हार का सामना करना पड़ा था।
2022 में हुई थी कांग्रेस प्रत्याशी की शर्मनाक हार
दरअसल, मतदाताओं के बीच चर्चा है कि बीते कई चुनावों के परिणाम कांग्रेस के लिए बेहद शर्मिंदा करने वाले रहे हैं। हर कोई कह रहा है कि क्या अबकी बार कांग्रेस पार्टी निकाय चुनाव में जमानत तक बचा सकेगी। इसकी वजह है कि दावे भले ही बड़े हों, लेकिन प्रत्याशियों की सक्रियता धरातल पर दूसरे दलों की अपेक्षा कम दिखाई दे रही हैं।
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विधानसभा 2022 में कांग्रेस प्रत्याशी को इसी बांदा शहर में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। सदर सीट से लड़े कांग्रेस के लक्ष्मी नारायण गुप्ता मात्र 2 हजार वोटों में सिमटकर रह गए थे। यह पार्टी और प्रत्याशी दोनों के लिए बड़ी शर्मनाक हार साबित हुई थी।
नसीमुद्दीन जैसे नेता के गृह जनपद में पार्टी की हालत खराब
खास बात यह है कि कांग्रेस पार्टी का यह बुरा हाल पार्टी के स्टार प्रचारक नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे बड़े नेता के गृह जनपद में हुआ। इससे पहले 2018 में हुए निकाय चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी। पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन के चलते ही लोगों में अबकी बार भी संशय बना है। प्रत्याशियों ने अगर अब भी खुद को नहीं संभाला तो ठीक नहीं होगा। हालांकि, कुछ लोगों में यह भी चर्चा है कि कांग्रेस जातीय समीकरणों के चलते बांदा नगर पालिका में जीत दर्ज करा सकती है। हालांकि, यह किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं होगा। देखते हैं आने वाले समय में क्या होता है।
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