समरनीति न्यूज, बांदा : बांदा में विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत और स्थानीय नेताओं की शह पर बड़ा मामला सुर्खियों में है। करीब 3 साल पहले ग्रीन बेल्ट पर अवैध रूप से बनाए जा रहे अस्पताल भवन को तत्कालीन तेज तर्रार अधिकारियों ने सील कर दिया था। तत्कालीन बीडीए सचिव/सिटी मजिस्ट्रेट सुरेंद्र सिंह चाहल ने 2020 में ग्रीन बेल्ट पर बने इस व्यवसायिक अस्पताल भवन पर छापा मारा। जांच-पड़ताल की गई थी।
तत्कालीन बीडीए अधिकारियों ने की थी सीलिंग की कार्रवाई
फिर बिना नक्शा पास ग्रीन बेल्ट पर व्यवसायिक भवन को सील कर दिया। सीलिंग की यह कार्रवाई काफी चर्चा में रही थी। अस्पताल भवन बनवाने वालों ने राजनीतिक पहुंच भिड़ाई। लेकिन अधिकारियों की दृढ़ इच्छा शक्ति के सामने बात नहीं बनी।
पर्दे डालकर भीतर ही भीतर करा रहे निर्माण को लेकर चर्चाएं
जानकारों का कहना है कि फिर अधिकारियों का तबादला हुआ तो नए अधिकारी अस्पताल संचालक रसूख और राजनीतिक पहुंच के आगे नतमस्तक हो गए। भवन पर चारों ओर से हरे पर्दे डाल दिए गए, ताकि बाहर से दिखाई न दे। इसके बाद बीडीए अधिकारियों से साठगांठ कर ली और सीलिंग के बावजूद भीतर ही भीतर भवन में निर्माण शुरू कर दिया।
सील के नाम पर एक ताला और पुराना कपड़ा, बाकी गायब
आज सील के नाम पर इस व्यवसायिक भवन के एक कोने में शटर पर लाल कपड़े से ढका ताला लटका है। बाकी पट्टी वाली सील गायब कर दी गई है। भवन में हर समय 15 से 20 लोग घूमते काम करते दिख जाएंगे। किसी बारी को दिखाई न दे, इसलिए भवन पर चारों ओर से बड़े-बड़े हरे रंग के पर्दे लटकाए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि बांदा विकास प्राधिकरण और प्रशासन के अधिकारी की पूरी साठगांठ से गुपचुप निर्माण तेजी से चल रहा है।
एक अधिकारी के रिश्तेदार होने की चर्चा, दूसरा प्रभावित
सूत्र तो यहां तक बताते हैं बीडीए के एक अधिकारी इनके रिश्तेदार हैं। इसके अलावा स्थानीय नेताओं की सिफारिशें भी काम कर रही हैं। वैसे अगर बात सच है तो यह बड़ा दुस्साहस है कि सील अस्पताल को भीतर-भीतर ही बनवाया जा रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए। जांच में पता चल जाएगा कि निर्माण कार्य कितना हुआ है। मई 2020 में सील इस भवन को लेकर लोगों में काफी चर्चा है।
ग्रीन बेल्ट पर बना यह भवन सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है। सीलिंग के बाद बिल्डिंग में निर्माण कैसे तेजी से बढ़ रहा है। अगर जांच करा ली जाए, तो सबकुछ साफ हो जाएगा। हालांकि, अस्पताल बनवाने वालों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि महायोजना बदल चुकी है।
महायोजना बदलने का तर्क देकर बचना चाह रहे
ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या महायोजना बदलने से ग्रीन बेल्ट खत्म हो गई। हालांकि, कुछ अधिकारियों का कहना है कि अभी ऐसा कुछ नहीं है। कुल मिलाकर इस तर्कों के सहारे आम जनता के हक पर डाका डाला जा रहा है। यह बेहद गंभीर विषय है जिस जगह पर यह अस्पताल बनाया जा रहा है वह पूर्व में हरा-भरा बाग था।
इनकी भी सुनिए, क्या कहते हैं प्रबंधक
यह पूरा क्षेत्र बांदा विकास प्राधिकरण के तहत ग्रीन बेल्ट में है। इसके बावजूद व्यवसायिक भवन खड़े हैं। इसके पीछे भू-माफियाओं का पूरा सिंडीकेट काम कर रहा है, जो सरकारी जमीनों का गलत इस्तेमाल कर शहर से हरियाली छीन रहे हैं। उधर, अस्पताल के प्रबंधक डा. अरुणेश का कहना है कि उनका अस्पताल ग्रीन बेल्ट में नहीं है। कुछ लोग उनकी गलत शिकायतें कर रहे हैं।
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