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UP Politics : क्या बुंदेलखंड में सपा की गुटबाजी खत्म कर पाएंगे अखिलेश?

Will Akhilesh be able to end SP's factionalism in Bundelkhand?

मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो : UP Politics लोकसभा 2024 की तैयारियों को लेकर समाजवादी पार्टी पूरी तरह से कमर कस चुकी है। सपा मुखिया अखिलेश यादव प्रशिक्षण शिविर के जरिए सीधेतौर पर कार्यकर्ताओं से रूबरू हो रहे हैं। दरअसल, प्रशिक्षण शिविर तो एक बहाना है, असल मकसद कार्यकर्ताओं के जोश को जगाना है। यही वजह है कि लखीमपुर खीरी और सीतापुर के बाद अब बारी बुंदेलखंड की है। बांदा, फतेहपुर में 16-17 और 18 अगस्त को समाजवादी पार्टी के प्रशिक्षण शिविर हैं।

विधानसभा से लेकर निकाय चुनाव तक खुलकर सामने आई गुटबाजी

ऐसे में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी को खत्म करना है। बड़ा सवाल यह है कि क्या अखिलेश यादव बुंदेलखंड में चल रही सपा की अंदरूनी गुटबाजी को खत्म कर पाएंगे। अकेले बांदा की बात की जाए तो यहीं सपा की गुटबाजी एक नहीं बल्कि कई चुनावों में पार्टी हार का बड़ा बन चुकी है। पहले निकाय चुनाव और इससे पहले विधानसभा चुनाव में सपा की हार का सबसे बड़ा कारण गुटबाजी ही रहा है।

गुटबाजी न होती तो बुंदेलखंड में सपा के लिए अलग होते परिणाम

अगर सपा में गुटबाजी न होती तो शायद आज बुंदेलखंड में पार्टी के लिए परिणाम अलग होते। बांदा नगर पालिका के निकाय के चुनावों में टिकट को लेकर रार रही। फिर टिकट कटते-कटाते रहे। इससे पार्टी दो फाड़ हो गई। हालांकि, इससे पहले विधानसभा चुनावों में भी कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षाएं इतनी हावी रहीं कि वे खुद के स्वार्थों के चक्कर में पार्टी हित भूल बैठे। कई सपा नेता अपने ही प्रत्याशी के समर्थन से दूर नजर आए। अब फिर लोकसभा चुनाव आने वाले हैं तो राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रभावित करने के लिए युवाओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं तक ने शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगवाए हैं।

पार्टी हितों पर भारी पड़ रही युवा-वरिष्ठ नेताओं की महत्वाकांक्षा

जनाधार भले ही कुछ न हो, लेकिन महत्वाकांक्षाएं सभी की दिख रही हैं। यही वजह है कि सभी अपने-अपने व्यक्तिगत हित साधने में लगे हैं। पार्टी हित की चिंता कम ही नेताओं को है। युवा नेता भी कम समय में ज्यादा पाने की चाह में झंडा ऊंचा कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह है कि आने वाले प्रशिक्षण शिविर के जरिए क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी पार्टी की गुटबाजी को खत्म कर पाएंगे ? खुद पार्टी के भी कई नेताओं में भी इस बात को लेकर चर्चा है।

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