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जानिए अपनी लोकसभा सीट उन्नाव और उसका इतिहास..

साक्षी महाराज व अन्नू टंडन, और पूजा पाल।

मनोज सिंह शुमाली, पॅालीटिकल डेस्कः उन्नाव लोकसभा क्षेत्र लखनऊ और कानपुर के बीच में बसा शहर है। यह एक बहुत बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। इसके आसपास 3 औद्योगिक उप नगर हैं। यहां उन्नाव जिले का मुख्यालय है। यह शहर अपने चमड़े के काम के लिए, मच्छरदानी, और रसायन के लिए प्रसिद्ध है। कानपुर-लखनऊ क्षेत्र के अंतर्गत आने की वजह से इसके विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नया उपग्रह शहर ट्रांस गंगा शहर का निर्माण, उन्नाव को बड़ा औद्योगिक और ढांचागत क्षेत्र बनाने के लिए किया जा रहा है।

लखनऊ, कानपुर, रायबरेली और हरदोई से घिरा है उन्नाव  

उन्नाव जिला लखनऊ, कानपुर, रायबरेली और हरदोई से घिरा हुआ है। गंगा और सई नदी के बीच पडऩे वाले उन्नाव संसदीय क्षेत्र की पहचान कलम और तलवार के धनी जनपद के रूप में होती है। पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और शहीदे आजम चंद्रशेखर, हसरत मोहानी जैसे आजादी के दीवानों ने उन्नाव को अलग पहचान दिलाई है। 1200 साल पहले यहां केवल जंगल था।

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12वीं शताब्दी के अंत में एक चौहान राजपूत गोदो सिंह ने यहां के जंगल साफ करवाए और सवाई गोदो नाम के शहर की स्थापना की जो बाद में कन्नौज के शासकों के हाथ में चली गयी। कन्नौज के राजा ने खंडें सिंह को यहां का राज्यपाल नियुक्त किया। बिसेन राजपूत और राज्यपाल के लेफ्टिनेंट, उन्वंत सिंह ने खंडे सिंह को मार कर यहां एक किला बनवा दिया और शहर का नाम अपने नाम पर उन्नाव रख दिया। प्राचीन काल में उन्नाव कोसला महाजनपद का हिस्सा हुआ करता था, जो बाद में अवध में चला गया।

यहां के वोटरों की स्थिति 

महिला मतदाता
969,919

पुरुष मतदाता
1,194,394

कुल मतदाता
2,164,392

यहां की आबादी और शिक्षा की स्थिति  

उन्नाव लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधान सभा क्षेत्र आते हैं जिनमें बांगरमऊ, सफीपुर (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित), मोहन (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित), उन्नाव, भगवंतनगर और पुरवा शामिल है। उन्नाव 4,589 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां की कुल जनसंख्या 3,108,378 है, जिसमें से 52 प्रतिशत पुरुष और 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 66.37 प्रतिशत है। यहां के करीब 75.05 प्रतिशत पुरुष और 56.75 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 907 महिलाएं हैं। यहां पर मतदाताओं की संख्या 2,164,392 है, इनमें से 1,194,394 पुरुष मतदाता और 969,919 महिला मतदाता हैं।

उन्नाव रेलवे स्टेशन।

कुछ ऐसा है राजनीतिक घटनाक्रम  

उन्नाव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पहली बार 1952 में चुनाव हुए जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विश्वम्भर दयाल त्रिपाठी विजयी हुए और यहां के पहले सांसद बने। सुभाष चन्द्र बोस के साथी रहे विश्वम्भर दयाल अगले चुनाव में भी विजयी रहे, लेकिन कार्यकाल के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गयी जिसकी वजह से उन्नाव में 1960 में उपचुनाव कराये गये। इस उपचुनाव में कांग्रेस के ही नेता लीला धर अस्थाना जीते। कांग्रेस ने इस सीट पर लगातार 6 बार जीत हासिल की, पर कांग्रेस का कोई भी नेता लगातार 2 बार से ज्यादा यहां नहीं रहा।

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अस्थाना के बाद 2 बार कृष्णा देव त्रिपाठी यहां के सांसद बने और उनके बाद जिऔर रहमान अंसारी। 1977 में यहां कांग्रेस ने पहली हार देखी। कांग्रेस को हराकर जनता पार्टी के राघवेन्द्र सिंह सांसद की कुर्सी पर बैठे और उन्नाव का प्रतिनिधित्व किया। 1980 में दोबारा कांग्रेस ने सत्ता अपने हाथ में ले ली और जिऔर रहमान अंसारी फिर से यहां के सांसद बने। जिऔर लगातार 2 बार यहां से जीते। 1989 में जनता दल के अनवर अहमन से जिऔर को हराकर इस सीट पर कब्जा जमा लिया।

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1991 में बीजेपी ने अपना खाता खोला और देवी बक्स सिंह लगातार तीन बार यहां से जीते। 1999 की सत्ता पलट में समाजवादी पार्टी के दीपक कुमार यहां से विजयी रहे। अगले चुनाव में बसपा के ब्रजेश पाठक ने इस सीट पर कब्जा जमाया। इन दोनों ही दलों का राजनीतिक सफर यहां बहुत छोटा रहा। 2009 में 20 सालों बाद आखिरकार कांग्रेस ने यहां वापसी की और अनु टंडन यहां की सांसद चुनी गई। अगले ही चुनाव में यह सीट फिर कांग्रेस के हाथ से निकल गई। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साक्षी महराज विजयी रहे। साक्षी महाराज मथुरा और फर्रुखाबाद के सांसद भी रह चुके हैं।

लोकसभा वर्ष और पार्टी का नाम 

  1. पहली 1952 विश्वम्भर दयाल त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  2. दूसरी 1957 विश्वम्भर दयाल त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  3. उपचुनाव 1960 लीलाधर अस्थाना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  4. तीसरी 1962 कृष्णा देव त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  5. चौथी 1967 कृष्णा देव त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  6. पांचवी 1971 जिऔर रहमान अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  7. छठवीं 1977 राघवेन्द्र सिंह जनता पार्टी
  8. सातवीं 1980 जिऔर रहमान अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  9. आठवीं 1984 जिऔर रहमान अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  10. नौवीं 1989 अनवर अहमद जनता दल
  11. दसवीं 1991 देवी बक्स सिंह भारतीय जनता पार्टी
  12. ग्यारहवीं 1996 देवी बक्स सिंह भारतीय जनता पार्टी
  13. बारहवीं 1998 देवी बक्स सिंह भारतीय जनता पार्टी
  14. तेरहवीं 1999 दीपक कुमार समाजवादी पार्टी
  15. चौदहवीं 2004 ब्रजेश पाठक बहुजन समाज पार्टी
  16. पंद्रहवीं 2009 अन्नू टंडन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  17. सोलहवीं 2014 साक्षी महाराज भारतीय जनता पार्टी

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