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खास खबर : मुख्यमंत्री के विभाग में घाटे का बिजनेस, साढ़े 8 करोड़ का ठेका लुढ़ककर ढाई करोड़ पर..

Banda : Tenders are canceled again and again, what is truth behind scenes in District Panchayat

मनोज सिंह शुमाली, बांदा : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाले विभाग की जिला पंचायत बांदा में सरकार को एक बार फिर करोड़ों के राजस्व का चुना लगा है। खनिज संपदा से संपन्न बुंदेलखंड के बांदा जिले में खनिज तहबाजारी का ठेका 4 बार टेंडर कैंसल होने के बाद 5वीं बार में हो गया है। इस लगभग ढाई करोड़ के ठेके ने पूरी बांदा जिला पंचायत के अधिकारियों और जिम्मेदारों पर सवाल खड़ कर दिए हैं।

ठेकेदारों का टोटा, घाटे का सौदा

दो साल पहले 8 करोड़ 53 लाख में हुआ यह ठेका दो साल से नीचे गिरकर अब ढाई करोड़ के आसपास अटका हुआ है। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। वजह यह है कि जब सबकुछ महंगा हो रहा है, सरकार खनिज संपदा से समृद्ध क्षेत्र में तहबाजारी में घाटे में क्यों है। बार-बार ठेके का कैंसल होना और फिर अचानक तीन आवेदन का आना। इस पूरे घटनाक्रम ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

पांचवी बार में आ गए 3 आवेदन..

इस बार खनिज तहबाजारी ठेके के लिए चार बार टेंडर खोले गए। लेकिन एक भी आवेदन नहीं आया। आखिकर टेंडर कैंसल हो गए। तारीखें बढ़ती रहीं। फिर पांचवी तारीख में अचानक तीन आवेदन आ गए। एक को ठेका दे दिया गया। हालांकि, अबकी बार 3 करोड़ से ऊपर यह ठेका नहीं पहुंचा। जिला पंचायत के एएमओ शैलेंद्र चौहान का कहना है कि इस बार ठेका 2 करोड़ 58 लाख 65 हजार का हुआ है। यह ठेका तपस्या कांस्ट्रेक्शन नाम की कंपनी ने लिया है।

पिछली बार भी हुआ था ऐसा ही

बताते चलें कि बीते वर्ष भी इस ठेके में ऐसा ही हुआ था। तब 2 करोड़ 7 लाख रुपए यह ठेका उठा था। तब भी कई बार टेंडर कैंसल हुए थे। इसकी वजह थी कि कोई ठेका लेने नहीं आया। इसलिए विभाग ने उसे 9 करोड़ की जगह सिर्फ 2 करोड़ 7 लाख पर लाकर दे दिया। हालांकि, इससे पहले यही ठेका 9 करोड़ में उठा था। तब जिला पंचायत में अध्यक्ष नहीं, बल्कि जिलाधिकारी की देखरेख में प्रशासनिक मशीनरी काम कर रही थी।

किसी के गले नहीं उतर रही बात

दरअसल, कई सालों से इस खनिज तहबाजारी के ठेके के लिए ठेकेदारों में प्रतिस्पर्धा रहती है। लेकिन बीते दो साल से ठेकेदार इससे दूर हो रहे हैं। चर्चा है कि कुछ चुनिंदा लोगों को ठेका दिलाने के लिए यह बड़ा खेल चल रहा है। हालांकि, जिला पंचायत के एएमओ श्री चौहान का कहना है कि टेंडर की प्रक्रिया आनलाइन है। हमने चार बार लगभग सभी पेपर में आवेदन की सूचना भी प्रकाशित कराई।

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विज्ञापन में लगभग डेढ़ लाख रुपए खर्च भी हुए। लेकिन शुरू में कोई आवेदन नहीं आया। उन्होंने बताया कि पांचवी बार में 3 आवेदन आए तो सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को ठेका दे दिया गया। बाकी दो आवेदन, उमा कांस्ट्रक्शन और वीरेंद्र कांस्ट्रक्शन के 2 करोड़ 52 लाख और 2 करोड़ 41 लाख की बोली के थे। हालांकि, सच क्या है, यह तो मामले की उच्चस्तरीय जांच के बाद ही सामने आ सकता है।

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