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उन्नाव के सियासी रण में साक्षी और अन्नू के बीच होगा आर-पार का मुकाबला, लेकिन गठबंधन अभी बाकी है..

उन्नाव रेलवे स्टेशन।

मनोज सिंह शुमाली, पालिटिकल डेस्कः पिछले दिनों उन्नाव लोकसभा सीट चर्चा में थी। चर्चा का कारण भाजपा नेता साक्षी महाराज का एक हुआ वायरल पत्र था। उन्होंने टिकट मांगा था और उसके लिए कई वजह भी गिनाईं थीं। फिलहाल बीजेपी ने उन्हें टिकट दे दिया है। कांग्रेस ने भी अनु टंडन को मैदान में उतार दिया है। अब उन्नाव की चर्चा सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी को लेकर है। गठबंधन ने अपने प्रत्याशी की घोषण अब तक नहीं की है, जबकि उन्नाव में चुनावी बिसात पर सारे मोहरे चाल चलने के लिए तैयार हैं।

कभी कांग्रेस का गढ़ था उन्नाव लोकसभा सीट 

जानकार बताते हैं कि एक दौर में सियासी तौर पर उन्नाव कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन समय के साथ जनता ने अन्य पार्टियों को भी अपनी कसौटी पर परखा। फिलहाल 2019 लोकसभा चुनाव में उन्नाव की जनता किसे अपना सांसद चुनेगी यह तो 23 मई को पता चलेगा, लेकिन अभी यहां जो स्थिति है उससे साफ है कि उन्नाव में मुकाबला रोचक होगा।

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कांग्रेस की ओर से अनु टंडन मैदान में हैं। अन्नू कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ भी है। 2009 उन्होंने अच्छे मतों से जीत दर्ज कराई थी जो खुद में एक रिकार्ड है। हांलाकि 2014 में चौथे नंबर रहीं, लेकिन इसके बावजूद क्षेत्र में उनका जुड़ाव कम नहीं पड़ा।

चौंकाने वाली बात यह है कि सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन की ओर से अब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के अच्छे रिश्ते जगजाहिर हैं। अखिलेश शुरु से कांग्रेस के प्रति सॉफ्ट रहे हैं। यह बात और है कि बसपा प्रमुख मायावती की वजह अखिलेश को कांग्रेस से दूरी बनानी पड़ी, नहीं तो शायद कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा होती। यही वजह है कि उन्नाव के राजनीतिक गलियारे में तमाम कयासों को हवा मिल रही है। चर्चा तो यहां तक है कि सपा गठबंधन उन्नाव से डमी कैंडीडेट उतार सकता है।

अन्नू टंडन , कांग्रेस उम्मीदवार।

साक्षी महाराज के लिए आसान नहीं अबकी बार..  

2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी के साक्षी महाराज ने इस सीट पर सपा प्रत्याशी को 3 लाख मतों से मात देकर जीत दर्ज कराई थी। शायद यही वजह है कि उनके हौंसले आज भी बुलंद हैं। पिछले दिनों जब उनके टिकट कटने की चर्चा फैली तो उन्होंने यूपी बीजेपी अध्यक्ष को पत्र लिखकर टिकट देने की अपील की थी। यह अपील भी धौंस और एक चेतावनी के रूप में थी। साक्षी ने परिणाम तक भुगतने की बात लिख डाली थी। जीत के लिए साक्षी ने अपनी सारी रणनीति भी गिना डाली थीं। साक्षी ने भले ही बड़े अंतर से जीत दर्ज कराई हो, लेकिन इस बार उन्हें मैदान में काफी तगड़ी टक्कर मिलेगी।

9 बार मिली है कांग्रेस को उन्नाव सीट पर जीत 

आजादी के बाद से 2014 तक उन्नाव संसदीय सीट पर 16 बार आम चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस 9 बार जीतने में सफल रही, जबकि चार बार बीजेपी जीत चुकी है और सपा, बसपा और जनता पार्टी एक-एक बार जीतने में सफल रही हैं। उन्नाव लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की।

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कांग्रेस को 1971 तक लगातार 6 बार जीतने के बाद 1977 में जनता पार्टी के हाथों मात खानी पड़ी। हालांकि, 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में इस सीट पर कब्जा बनाए रखा। 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली।

साक्षी महाराज, उन्नाव से भाजपा उम्मीदवार।

90 के दशक में पहली बार बीजेपी ने खोला खाता 

90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन जब अपने उफान पर था तो बीजेपी ने 1991 में पहली बार इस सीट पर खाता खोलने में कामयाब रही। यहां से देवीबक्श सिंह सांसद बने और इसके बाद वह लगातार 1996 और 1998 में भी चुनाव जीतने में सफल रहे। वहीं 1999 के लोकसभा चुनाव में सपा ने दीपक कुमार को उतारकर बीजेपी के विजय रथ को रोका। इसके बाद 2004 में बसपा ने बृजेश पाठक को उतारा वो जीतने में सफल रहे। इसके बाद कांग्रेस ने 2009 में अन्नू टंडन के जरिए एक बार फिर वापसी की, लेकिन 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने साक्षी महाराज को उतारकर सीट छीन ली।

2014 में किसे मिला कितना वोट 

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर 55.52 फीसदी मतदान हुए थे। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार साक्षी महाराज ने सपा के अरुण शुक्ला को करीब 3 लाख मतों से मात देकर जीत हासिल की थी। बीजेपी के साक्षी महाराज को कुल 5,18,834 वोट मिले जबकि सपा के अरुण शुक्ला को 2,08,661 वोट मिले। तीसरे नंबर पर रहे बसपा के बृजेश पाठक को 2,00,176 वोट मिले और चौथे नंबर पर रही कांग्रेस की अनु टंडन को 1,97,098 वोट मिले।

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