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लोकसभा-2019ः छठे चरण का रणः यूपी की 14 सीटों पर कहां-किसका पलड़ा भारी

अखिलेश यादव व मेनका गांधी।

समरनीति न्यूज, पॅालीटिकल डेस्कः लोकसभा चुनाव के छठे चरण के तहत 12 मई को उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर मतदान होगा। छठे चरण में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, केन्द्रीय मंत्री मेनका गाधी, संजय सिंह और जगदंबिका पाल जैसे दिग्गज नेताओं की किस्मत दांव पर लगी है। जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें आजमढ़, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अम्बेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीरनगर, लालगंज, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही लोकसभा सीट शामिल है। 2014 में आजमगढ़ छोड़ बीजेपी ने इस सभी सीटों पर कब्जा किया था। 2014 के चुनाव से यह चुनाव थोड़ा अलग है।

अखिलेश व मेनका जैसे दिग्गजों की किस्मत का होगा फैसला 

पिछले चुनाव में मोदी लहर थी और सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस का कोई वजूद नहीं था। सपा, बसपा भी मैदान में थी लेकिन मोदी लहर में कुछ खास करने की स्थिति में नहीं थी। इस बार परिस्थितियां भिन्न है। सपा-बसपा गठबंधन बीजेपी को चुनौती दे रही है तो कांग्रेस भी कई जगह बीजेपी की गणित बिगाडऩे में कामयाब होती दिख रही है। आईये जानते हैं किन सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन बीजेपी को सीधे चुनौती दे रही है तो किन सीटों पर कांग्रेस खेल बिगाड़ रही है।

आजमगढ़ : अखिलेश बनाम निरहुआ

यूपी के पूर्व सीएम और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर छठे चरण में वोटिंग होनी है, लेकिन इस बार बीजेपी ने उनके खिलाफ भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने चेहरे दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को टिकट दिया है। हालांकि इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा माना जाता है, लेकिन निरहुआ की पॉप्युलैरिटी भी कम नहीं है। इसीलिए इस सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है।

प्रियंका गांधी।

सुल्तानपुर : कांग्रेस ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

सुलतानपुर लोकसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। बीजेपी की वरिष्ठï नेता और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी इस बार अपने लोकसभा क्षेत्र पीलीभीत को छोड़कर सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रही हैं। सुल्तानपुर में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार डॉ संजय सिंह टक्कर दे रहे हैं। इस सीट से मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी सांसद हैं। गठबंधन की तरफ से बाहुबली चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू की किस्मत भी दांव पर है। वैसे तो मुख्य मुकाबला गठबंधन और बीजेपी के बीच है, लेकिन कांग्रेस ने यहां अपनी ताकत झोंक कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

प्रतापगढ़ : राजा भैया की पार्टी ने मुकाबला बनाया दिलचस्प

बाहुबली नेता राजा भैया की वजह से प्रतापगढ़ में सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गई है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय ही देखने को मिल रहा है। राजा भैया की जनसत्ता पार्टी के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां बीजेपी ने अपना दल से विधायक संगमलाल गुप्ता को टिकट दिया है तो कांग्रेस से राजकुमारी रत्ना सिंह मैदान में हैं। सपा-बसपा गठबंधन की ओर बसपा ने अशोक कुमार त्रिपाठी को मैदान में उतारा है लेकिन लड़ाई में राजा भइया के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह भी हैं।

फूलपुर : भाजपा और गठबंधन के बीच लड़ाई

देश के राजनीतिक नक्शे में खास जगह रखने वाले उत्तर प्रदेश की फूलपुर संसदीय सीट पर इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन के बीच है और चुनावी मैदान में कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है। कभी कांग्रेस का गढ़ रहा इस संसदीय क्षेत्र में 2014 में पहली बार बीजेपी मोदी लहर में कमल खिलाने में कामयाब रही थी, लेकिन 2018 में उपचुनाव में बीजेपी ने यह सीट सपा के हाथों गवां दी थी।

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2019 के रण में सपा ने अपने मौजूदा सांसद नागेंद्र सिंह पटेल का टिकट काटकर पंधारी यादव को उतारा है, जिनका मुकाबला बीजेपी की केशरी देवी पटेल और कांग्रेस के पंकज निरंजन से है। कुर्मी बहुल सीट होने के नाते बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कुर्मी समुदाय से अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने यादव पर दांव लगाया है।

इलाहाबाद : गठबंधन बनाम बीजेपी

कभी कांग्रेस का गढ़ रही इलाहाबाद संसदीय सीट अब बीजेपी के लिए नाक का सवाल बनी हुई है। यहां बीजेपी ने कभी कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रही रीता बहुगुणा जोशी को मैदान में उतारा है तो वहीं कभी बीजेपी का झंडा थामकर चुनाव लडऩे वाले योगेश शुक्ला को कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं, गठबंधन की तरफ इस बार राजेंद्र पटेल दोनों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

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बसपा सुप्रीमों मायावती। (फाइल फोटो)

अंबेडकर नगर : गठबंधन बनाम बीजेपी 

अंबेडकर नगर संसदीय सीट मायावती का गढ माना जाता है। मायावती ने यहां जीत की हैट्रिक लगा चुकी हैं लेकिन 2014 में मोदी लहर में यह सीट बीजेपी की झोली में चली गई। इस बार बीजेपी ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर यूपी सरकार में मंत्री रहे मुकुट बिहार वर्मा पर दांव खेला है। इस फैसले के पीछे कुर्मी वोटरों का गणित है। यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और गठबंधन में ही है क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेद सिंह का नामांकन खारिज हो चुका है।

श्रावस्ती : गठबंधन बनाम बीजेपी

श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का रुझान जानना कठिन नहीं है, पर कांग्रेस अंतिम परिणाम के लिहाज से गुणा-भाग को थोड़ा मुश्किल बना रही है। यहां आमने-सामने की लड़ाई में भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन है। दोनों जहां अपने-अपने आधार वोट में मजबूती से लड़ रहे हैं, वहीं कुछ हद तक एक-दूसरे के आधार वोट में सेंध लगाने की कोशिश में भी हैं। भाजपा से मौजूदा सांसद दद्दन मिश्रा फिर से मैदान में है। गठबंधन से यह सीट बसपा के खाते में है। राम शिरोमणि वर्मा गठबंधन के प्रत्याशी हैं। कांग्रेस ने बलरामपुर सदर से विधायक रह चुके धीरेंद्र प्रताप सिंह पर दांव लगाया है।

डुमरियागंज : कांग्रेस ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला  

डुमरियागंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार डा. चंद्रेश उपाध्याय उपाध्याय की वजह से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां गठबंधन के प्रत्याशी आफताब आलम हैं तो वहीं बीजेपी के जगदम्बिका पाल तीसरी बार संसद पहुंचने के लिए मैदान में हैं। कांग्रेस की वजह से इस सीट पर धु्रवीकरण की परिस्थितियां नहीं बन पा रही हैं।

बस्ती : कांग्रेस ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला  

बस्ती लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। बीजेपी ने मोदी लहर में जीतकर संसद पहुंचे हरीश द्विवेदी पर फिर से भरोसा जताया है। यह सीट सपा-बसपा गठबंधन में बसपा के खाते में है। पिछले आम चुनाव में बसपा के कैंडिडेट राम प्रसाद चौधरी तीसरे स्थान पर थे। फिर से राम प्रसाद को सीट जीतने का मौका दिया गया है। कांग्रेस सपा के बागी राजकिशोर सिंह को मैदान में उतारा है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला है।

भदोही : कांग्रेस ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला 

भदोही लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने आजमगढ़ से मौजूदा सांसद रमाकांत यादव को मैदान में उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। बीजेपी ने यहां से रमेश बिंद को खड़ा किया है। बिंद बीएसपी के टिकट पर तीन बार मझवां से विधायक रहे हैं। बीजेपी ने एक तरह से पिछड़ा कार्ड खेला है। यहां से बीएसपी ने रंगनाथ मिश्रा को खड़ा किया है। कांग्रेस ने बाहुबली नेता रमाकांत यादव को टिकट दिया है।

मछलीशहर : गठबंधन बनाम बीजेपी 

मछलीशहर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद रामचरित्र निषाद का टिकट काटकर बीपी सरोज को उतारा है। बसपा ने यहां त्रिभुवन राम को प्रत्याशी बनाया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में रामचरित्र निषाद ने पौने दो लाख मतों से जीत हासिल की थी। इस बार के रण में बीजेपी ने बसपा से आए बीपी सरोज पर दांव लगाया है, जिसके चलते रामचरित्र निषाद ने बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है।

रैली मे बोलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

लालगंज : गठबंधन बनाम बीजेपी

लालगंज लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बीजेपी ने यहां से अपनी मौजूदा सांसद नीलम सोनकर को एक बार फिर उतारा है, जिनका मुकाबला बसपा की संगीता आजाद और कांग्रेस के पंकज मोहन सोनकर से है। 2014 में बीजेपी पहली बार इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी। इस बार के बदले हुए समीकरण सपा और बसपा एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं और दोनों पार्टियों के वोट तो बीजेपी के लिए इस बार की लड़ाई कठिन है।

संतकबीर नगर : गठबंधन बनाम बीजेपी

संतकबीर नगर सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर सपा से आए प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है।बसपा ने यहां बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी और कांग्रेस ने भालचंद्र यादव पर दांव लगाया है। इस इलाके के यादव समुदाय के बीच भालचंद्र की मजबूत पकड़ मानी जाती है, जिससे महागठबंधन के रणनीतिकारों की नींद उड़ गई है। हालांकि बीजेपी यहां मोदी-योगी के सहारे जीत की आस लगाए हुए है। जबकि बसपा दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण मतों के सहारे जीत उम्मीद लगाए हुए, लेकिन भालचंद्र ने आखिर वक्त में कांग्रेस से उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

जौनपुर : गठबंधन बनाम बीजेपी 

जौनपुर लोकसभा सीट पर बसपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। जौनपुर सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद केपी सिंह को उतारा है। वहीं, बसपा ने श्याम सिंह यादव और कांग्रेस ने देव व्रत मिश्र पर दांव लगाया है। 2014 में केपी सिंह ने करीब ढेड़ लाख मतों से जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार के सियासी समीकरण बदले हुए हैं सपा-बसपा एक साथ चुनावी मैदान में है। ऐसे में अगर बसपा और सपा के वोट मिला दें तो बीजेपी से कहीं ज्यादा हो जाता है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह सीट बचाए रखने की बड़ी चुनौती है।

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