समरनीति न्यूज, कानपुरः आज कानपुर परिवर्तन फोरम द्वारा गंगा कटरी के कई गांवों के बाढ़ पीड़ितों को गंगा बैराज रोड स्थित राहत शिविरों में 1000 लोगों को खाना और कपड़े वितरित किया। परिवर्तन की टीम खाना और अन्य सामान लेकर पूरी तैयारियों के साथ वहां पहुंची। इस दौरान महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता निभाई। गरीब बच्चों को खाना मिलने पर उनके चेहरे खिल उठे।
परिवर्तन ने गंगा कटरी में बसे लोगों की मदद के लिए मदद का निर्णय लिया। सभी ने तय किया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में अपना कैंप लगाकर प्रतिदिन 1000 लोगों को सुबह 7 बजे चाय-बिस्किट और दोपहर में खाना वितरण करेंगे।
ये भी पढ़ेंः क्या आपने कभी try की है Hair Chain Accessories
ताकि आने लोगों की मूलभूत जरूरतों को समय रहते पूरा किया जा सके। बाढ़ से इन इलाकों में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों के घर पूरी तरह से डूब गए हैं। ऐसे में मदद का यह निर्णय पीड़ित गरीब लोगों के लिए बड़ी मदद साबित हो रहा है।
साथ ही लोगों से इस आपदा से निपटने के लिए यथाशक्ति सहयोग जैसे दाल, चावल, शक्कर, आटा आदि परिवर्तन को देने की अपील की है ताकि सभी लोग अपनी-अपनी हिस्सेदारी देकर गरीबों की मदद कर सकें।
ये भी पढ़ेंः देश के लिए सोना जीतने वाले बाक्सर की दिली इच्छा धर्मेंद्र से एक मुलाकात..
इससे मानवीय संबंधों को नई ऊंचाइयां भी मिलेंगी और आसानी से गरीबों की मदद भी हो सकेगी। मदद को लेकर स्थानीय गरीबों लोगों में, खासकर बच्चों के चेहरों पर खुशी साफ देखी गई।
परिर्वतन के अनूप दिवेवी ने बातचीत में बताया है कि प्रशासन अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। कहा कि हमारी थोड़ी सी मदद भी लोगों के लिए बड़ा सहारा साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि सभी लोगों ने इस काम में बढ़-चढ़कर मदद की है। मदद करने वालों में प्रमुख रूप से अनिल गुप्ता, अनूप कुमार दिवेदी, राजेश ग्रोवर, कीर्ति सर्राफ, एसके गुप्ता, रेनू शाह, सीमा जैन, रेनू गुप्ता, मंजू सर्राफ, शालिनी, रितिका आदि शामिल हैं।
कुछ ऐसी है बाढ़ की विभिषिका
गंगा की कटरी में बसे कई इलाकों में बाढ़ का तांडव मचा हुआ है। नीचले इलाकों में बसे लोगों के घर डूब गए हैं। ऐसे में उनका रहना-खाना सबकुछ बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। लोग किसी तरह जीवन गुजर बसर कर रहे हैं। कुछ लोग यहां से कहीं दूसरी जगहों पर पलायन कर गए हैं लेकिन जिनके पास कोई सहारा नहीं है वे लोग यहीं आसपास डेरा जमाए हैं। इन सैंकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी की भीषण समस्या पैदा हो गई है।