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बुंदेलखंड की हमीरपुर सीट पर प्रियंका के आने से बदले समीकरण, राजनाथ के बाद मोदी को भी पड़ा आना, अब मुकाबला त्रिकोणीय

प्रियंका गांधी और नरेंद्र मोदी।

मनोज सिंह शुमाली, पॉलिटिकल डेस्क। बुदेलखंड के चारों लोकसभा सीट पर चुनावी शोर चरम पर है। महोबा, झांसी, जालौन में 29 अप्रैल को मतदान होना है तो बांदा में 6 मई को। जहां तक महोबा-हमीरपुर की बात करें तो यहां चुनावी रण अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। 2014 में इस सीट पर कब्जा करने वाली बीजेपी के लिए इस बार राह आसान नहीं है। यहां कांग्रेस की स्थिति में सुधार की वजह लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। बुंदेलखंड की इस सीट पर बीजेपी, सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के आने के बाद बुंदेलखंड की हवा बदली है। खासकर इस सीट पर कांग्रेस ज्यादा मजबूर होकर उभरी है। ऐसे में इस सीट पर सभी दलों की खास नजर है।

हमीरपुर में जनसभा को संबोधित करते गृहमंत्री राजनाथ सिंह।

राजनाथ, केशव मौर्य के बाद मोदी भी आए 

इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां मतदान होने से पहले पीएम मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने जनता के बीच अपनी हाजिरी लगानी पड़ी। मालूम हो कि 19 अप्रैल को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बेलाताल में जनसभा को संबोधित किया तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह 20 अप्रैल को भरुआ सुमेरपुर के गायत्री तपोभूमि से हुंकार भरी।

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वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 23 अप्रैल को महोबा पहुंचे। 25 अप्रैल यानि आज खुद प्रधानमंत्री मोदी को बांदा आना पड़ा। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद पर भरोसा जताते हुए इस सीट पर मौजूदा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को उतारा है। सपा ने महोबा-हमीरपुर से ठाकुर दिलीप कुमार सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी से प्रीतम सिंह लोधी ‘किसान’ पर दांव लगाया है।

हमीरपुर लोकसभा सीट के लिए मौजूदा प्रमुख दलों के प्रत्याशी। बाएं से दिलीप सिंह, (सपा-बसपा) गठबंधन, पुष्पेंद्र सिंह चंदेल भाजपा तथा प्रीतम सिंह, कांग्रेस।

2014 में मोदी लहर के सहारे जीते थे पुष्पेन्द्र 

साल 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने मोदी लहर में जीत हासिल की थी। उन्होंने सपा के बिशंभर प्रसाद निषाद को चुनावी मैदान में मात दी थी। पुष्पेंद्र को 4,53,884 वोट मिले थे, जबकि सपा के बिशंभर निषाद को 1,87,096 वोट मिले थे। बीएसपी के राकेश गोस्वामी तीसरे और कांग्रेस की प्रतिमा लोधी चौथे स्थान पर रही थीं।

कांग्रेस उम्मीदवार प्रीतम लोधी ‘किसान’ 

कांग्रेस ने हमीरपुर-महोबा सीट से प्रीतम लोधी को टिकट दिया गया है। प्रीतम सिंह कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी थे। हाल ही में उन्होंने किसान सम्मेलन कराकर भारी भीड़ जुटाई थी। प्रीतम सिंह किसान लोधी जाति से आते हैं। हमीरपुर सीट पर लोधी जाति का अच्छा-खासा दबदबा हमेशा रहा है।

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ऐसे में अगर प्रीतम सिंह किसान को सवर्ण जातियों का वोट मिलता है और ठाकुर जाति का वोट पुष्पेंद्र चंदेल और दिलीप सिंह के बीच बंटता है तो बुंदेलखंड की इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिल सकती है।

हमीरपुर के राठ में एक जनसभा में बोलतीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी।

इसकी एक वजह यह भी है कि मुस्लिम और दूसरी जाति का समीकरण प्रियंका गांधी के रोड-शो के बाद बदल गया है। प्रियंका के बुंदेलखंड में दौरे और सक्रिय होने के बाद कांग्रेसियों में काफी जोश है और आम आदमी कांग्रेस से जुड़ा है। जहां तक प्रीतम की बात करें तो उनकी जनता पर कोई खास पकड़ नहीं है, वह पूरी तरह से सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के प्रचार और जातिय समीकरण के सहारे जीत का सपना संजोकर मैदान में उतरे हुए हैं।

भाजपा उम्मीदवार पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल

बीजेपी के उम्मीदवार पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल क्षत्रिय जाति से हैं। साल 2014 के चुनाव में मोदी लहर में वह सपा के उम्मीदवार को हराकर संसद पहुंचे थे लेकिन सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय जनता अपने इस सांसद से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है। इस नाराजगी का अंजादा इससे भी लगाया जा सकता है कि हमीरपुर लोकसभा सीट में आने वाले बांदा के तिंदवारी विधानसभा में तो लोगों ने पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के लापता होने के पोस्टर तक लगा दिए थे।

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करीब 3 साल पहले हुए इस वाक्य के बावजूद पुष्पेंद्र ने क्षेत्र में कभी झांककर नहीं देखा, बल्कि पुष्पेंद्र के बारे में एक बात कही जाती है कि वह आम जनता तो दूर बड़े से बड़े नेता या करीबी का भी फोन नहीं उठाते। कुल मिलाकर पुष्पेंद्र की खुद की कोई छवि नहीं है।

हमीरपुर का नक्शा।

वे पूरी तरह से दोबारा मोदी के नाम और छवि का लाभ लेने की कोशिश करेंगे। कुछ दिन पूर्व मौदहा में हुए कंश मेला विवाद पर पुष्पेन्द्र चंदेल काफी सक्रिय नजर आए थे, हालांकि कुछ लोग इस विवाद का जिम्मेदार भी उन्हीं को मानते हैं। ऐसे में दबे मुंह लोग यह भी कह रहे हैं कि बीते पांच साल पुष्पेंद्र ने जनता को बीते 5 साल में खूब रुलाया है तो अब आगे जीत गए तो क्या करेंगे।

बसपा के उम्मीदवार दिलीप सिंह

बहुजन समाज पार्टी ने हमीरपुर से खनन व्यवसायी दिलीप कुमार सिंह को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। दिलीप सिंह ने इससे पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा है। न ही दिलीप की छवि एक राजनेता वाली है। वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनके तीसरे नंबर पर रहने की क्षेत्र में चर्चा है। दरअसल, दिलीप का खुद का कोई जनाधार तो नहीं है, लेकिन सपा-बसपा के वोटबैंक के सहारे वह चुनाव जीतने की उम्मीद लगाए हैं।

बसपा सुप्रीमो मायावती।

क्षेत्र के लोग उनको बाबू सिंह कुश्वाह के पिछलग्गू के रूप में जानते रहे हैं लेकिन राजनीति में अपना वजूद तलाश रहे दिलीप ने बीते एक-डेढ़ साल पहले से ही बांदा के तिंदवारी इलाके में अपनी पकड़ बनाने के लिए काम शुरू कर दिया था। दबी जुबान यह भी चर्चा है कि दिलीप सिंह रुपए के बल पर चौंकाने वाला परिणाम भी दे सकते हैं। हांलाकि यहां बताना जरूरी है कि दिलीप के पास न कोई अपना एजेंडा है और न ही विजन। वह जनता का क्या भले करेंगे, क्या विकास करेंगे या क्या देंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता है।

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