Monday, April 29सही समय पर सच्ची खबर...

बेटे को खोने वाले पिता की कोर्ट से गुहार, प्रज्ञा सिंह के चुनाव लडऩे पर लगे रोक..

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर।

समरनीति न्यूज, पॉलीटिकल डेस्कः मालेगांव ब्लास्ट में जमानत पर चल रही साध्वी प्रज्ञा सिंह के चुनाव लडऩेकी खबर ने देश की सियासत में हलचल मचा दी है। साध्वी प्रज्ञा खुलकरकांग्रेस पर हमलावर है तो बीजेपी लगातार प्रज्ञा सिंह का बचाव कर रही है। फिलहाल प्रज्ञा के चुनाव लडऩे का मामला कोर्ट पहुंच गया है। मालेगांवब्लास्ट में बेटे को खोने वाले एक पिता ने एनआईए कोर्ट को अर्जी देकरचुनाव लडऩे पर रोक लगाने की गुहार लगाई है।

मुंबई की विशेष अदालत में दी गई अर्जी  

मुंबई स्थित विशेष एनआईए अदालत में निसार सईद ने अर्जी देकर प्रज्ञा के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि प्रज्ञा स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं। अगर वह इस भीषण गर्मी में भी चुनाव लडऩे के लिए स्वस्थ हैं, तो फिर उन्होंने अदालत को गुमराह किया है। मालूम हो कि बीजेपी ने  बुधवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह को मध्य प्रदेश कीभोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान किया था।

2008 में प्रज्ञा हुई थी गिरफ्तार 

2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस)ने प्रज्ञा सहित दूसरे आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इन सभी पर आरोप थेकि वे एक हिंदू चरमपंथी संगठन का हिस्सा थे, जिसने उत्तर महाराष्ट्र केमालेगांव शहर में ब्लास्ट को अंजाम दिया था। इस ब्लास्ट में 6 लोगों कीमौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

ये भी पढ़ेंः ..तो क्या झूठ बोल रही हैं सपना चौधरी? शामिल होने से इंकार पर कांग्रेस का भी पलटवार

स्वास्थ्य के आधार पर प्रज्ञा को मिली जमानतबॉम्बे हाईकोर्ट ने साल 2017 में मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा सिंहठाकुर को जमानत दी थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में प्रज्ञाके खिलाफ कोई केस बनता नहीं दिखता। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था किप्रज्ञा एक महिला हैं, जिन्होंने 8 साल से ज्यादा समय जेल में बिताया हैऔर वह ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त है।उस समय प्रज्ञा की मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया था कि वह बिना सहारे केचल-फिर भी नहीं सकतीं। कोर्ट ने कहा था कि प्रज्ञा फिलहाल एक आयुर्वेदिकहॉस्पिटल में हैं, जहां उनका सही इलाज नहीं हो सकता।

ये भी पढ़ेंः कितना मिला है चंदा, 30 मई तक राजनीतिक पार्टियां बताएं – सुप्रीम कोर्ट