मनोज सिंह शुमाली, पॉलीटिकल डेस्कः बांदा लोकसभा संसदीय क्षेत्र में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। सभी प्रत्याशी मैदान में हैं। अपने-अपने मुद्दों के साथ सभी मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए है। यहां भाजपा, गठबंधन और कांग्रेस के बीच लड़ाई है। दरअसल, बांदा से चुनाव लड़ रहे सपा प्रत्याशी श्यामा चरण गुप्ता पहले भाजपा में थे और प्रयागराज से 2014 चुनाव लड़े थे। इतना ही नहीं भारी मतों से विजयी भी हुए थे लेकिन उनकी जीत खुद की नहीं बल्कि मोदी लहर की बदौलत मानी जाती है।
कांटों भरी जीत की राह में कई संकट
अब बांदा की बात करें तो यहां चुनाव किसी के लिए आसान नहीं है। सपा-बसपा गठबंधन के हौसले बुलंद है और वह कैराना नीति पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन चुनाव में विजय पताका फहराना आसान नहीं है। दरअसल, भाजपा के उम्मीदवार श्यामा चरण गुप्ता के सामने कई संकट हैं। पहली बात तो यह है कि वह बीजेपी छोड़कर सपा में आए हैं। उनके उपर दल-बदलू का टैग लगा है। जनता के बीच विरोधी दल यही संदेश दे रहे हैं कि वह जनसेवा के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं बल्कि खुद अपने हित साधने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं।
इन संकटों से कैसे पार पाएंगे बीड़ी किंग..
वहीं दूसरा संकट संकट यह है कि श्यामा चरण गुप्ता लंबे समय से बांदा के इस क्षेत्र से दूर हैं। जनता के बीच जाने का उन्हें ज्यादा मौका भी नहीं मिला है। तीसरा संकट है उपल्धियां, श्यामाचरण गुप्ता के पास बांदा-चित्रकूट की जनता के सामने गिनाने के लिए खुद का कुछ नहीं है चूंकि वह प्रयागराज से सांसद रहे हैं इसलिए बांदा की जनता के बीच अपनी कोई उपलब्धियां यहां के लिए नहीं गिना सकते।
2009 में टिकट नहीं मिला तो छोड़ दिया था बांदा-चित्रकूट..
श्यामाचरण गुप्ता इससे पहले 2004 से 2009 के बीच बांदा से सासंद रह चुके हैं। 2004 में वह सपा के टिकट पर बांदा से चुनाव जीते थे, इसके बाद 2009 में जब बांदा से टिकट नहीं मिला तो भाजपा छोड़कर फिर पाला बदलकर सपा में चले गए। दलबदलू का टैग लिए श्यामाचरण ने फूलपुर सीट से भी सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा और बसपा प्रत्याशी के हाथों बुरी तरह हारे। इसके बाद 2014 में सपा ने टिकट नहीं दिया तो सपा छोड़कर फिर भाजपा में जाकर शामिल हो गए। मोदी लहर के सहारे प्रयागराज से जीत भी गए।
न जनाधार, न उपलब्धियां, गठबंधन के वोटों पर किस्मत..
जिले के पुराने वरिष्ठ लोग और चुनावी जानकार बताते हैं कि बांदा में श्यामा चरण गुप्ता अगर चुनाव लड़ रहे हैं तो पूरी तरह से गठबंधन के भरोसे हैं। उनका खुद का यहां कोई जनाधार नजर नहीं आ रहा है। लोगों का कहना है कि क्योंकि यह सीट बीजेपी की है इसलिए यहां उनको बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलना तय है।
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सूत्रों की माने तो प्रयागराज से बीजेपी से टिकट कटने की आशंका में ही श्यामा चरण गुप्ता ने पाला बदलते हुए साइकिल की सवारी शुरू कर दी। सूत्र बताते हैं कि अपनी स्थिति को लेकर उनको अंदाजा हो चुका था कि पार्टी (बीजेपी) उनका टिकट काट सकती है। दरअसल, इस बार बीजेपी ने कामकाज के आधार पर ही टिकट दिया था।
2019 में बांदा-चित्रकूट नहीं प्रयागराज थी पहली पसंद
सूत्र बताते हैं कि प्रयागराज में उनके काम से भाजपा शीर्ष नेतृत्व संतुष्ट नहीं था। जानकार बताते हैं कि क्षेत्र में उन्होंने सांसद रहते हुए समय भी कम दिया था। जानकार बताते हैं कि यही वजह है कि बीड़ी व्यवसाय में किंग कहलाने वाले श्यामाचरण पहले ही स्थिति को भांप गए थे और काफी पहले से दल बदलने को हाथ-पांव मार रहे थे। सूत्र बताते हैं कि वह प्रयागराज सीट किसी कीमत पर नहीं छोडऩा चाहते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सपा ने भी उन्हें बांदा से टिकट दिया।
राजनेता-समाजसेवी से ज्यादा है बीड़ी किंग से पहचान..
सांसद श्यामा चरण गुप्त राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक सफल उद्यमी भी हैं। श्यामाचरण गुप्ता बुंदेलखंड और विंध्याचल इलाके के एक बड़े कारोबारी भी हैं। वह बीड़ी किंग के नाम से मशहूर हैं। वह श्याम ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक और प्रमुख हैं। श्यामा चरण पहली बार भाजपा के ही टिकट पर मेयर का चुनाव जीते थे। 1991 में प्रयागराज से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे।
प्रयागराज में मोदी लहर से पार हो गई थी नैय्या..
2014 लोकसभा चुनाव में श्यामा चरण गुप्ता बीजेपी के टिकट पर प्रयागराज लोकसभा से चुनाव लड़े थे। उन्होंने सपा प्रत्याशी रेवती रमण सिंह को भारी मतों से हराया था। श्यामा चरण को 313772 वोट मिले थे जबकि सपा के रेवती रमण को 251763 वोट। तीसरे नंबर पर बसपा की केशरी देवी को 152073 वोट मिले थे जबकि चौथे नंबर पर 102453 वोट पाकर कांग्रेस के नंद गोपाल गुप्ता नंदी (वर्तमान भाजपा मंत्री) रहे थे लेकिन श्यामाचरण की इस जीत को मोदी की जीत के रूप में देखा जाता है।
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