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प्रशासनिक चौकसीः कानपुर के संवासिनी गृह में अब अटैंडेंस हुई बायोमैट्रिक्स

समरनीति न्‍यूज़, कानपुरः देवरिया में संवासिनी गृह में हुए जघन्य कांड के बाद अब प्रदेश के सभी संवासिनी गृहों को लेकर जबरदस्‍त सख्‍ती कर दी गई है। ऐसे में इन सभी संवासिनी गृहों के जांच के आदेश जारी किए गए हैं। इस क्रम में शहर के संवासिनी गृह में जांच के दौरान गड़बड़ी पाए जाने पर डीएम ने बायोमैट्रिक अटेंडेस कराने के निर्देश दिए हैं।

जांच में पता चला एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं
इस क्रम में सबसे पहले रावतपुर स्थित प्रगति सेवा संस्थान की ओर से संचालित संवासिनी गृह की जांच की गई। जांच में पाया गया कि यहां एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। बताया गया है कि इस संवासिनी गृह में कुल 21 बालिकाएं रह रही हैं। सुविधाओं के नाम पर यहां इन्वर्टर भी खराब है और लाइट की भी कोई सही सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं, रिकॉर्ड के नाम पर भी दिखाने के लिए यहां कुछ नहीं मिला।

नहीं चुकाया गया है किराया तक
बता दें कि ये संवासिनी गृह किराए पर चल रहा है। इसके बावजू पिछले 8 महीने से इसका किराया तक नहीं जमा किया गया है। वहीं स्वरूप नगर स्थित संवासिनी गृह में मौजूदा समय में 80 संवासिनी रह रही हैं। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि यहां कमरे कम होने की वजह से एक ही कमरे में क्षमता से ज्‍यादा संवासिनियां रह रही हैं। इसके इतर बाथरूम की संख्या 3 से ज्यादा बढ़ाने के निर्देश दिए गए।

रिकॉर्ड भी नहीं मिले पूरे
संवासिनी गृह में सिर्फ युवतियों, महिलाओं को ही रखा जाता है। इसको लेकर जब रजिस्टर की जांच की गई तो उसमें नंबर नहीं डाले गए थे और सिर्फ संवासिनी के आने-जाने का रिकॉर्ड लिखा था। वह इस तरीके से लिखा गया था कि रजिस्टर में लिखे 2 डिटेल के बीच में किसी भी अन्य की डिटेल लिखी जा सकती है। इसमें कोई नंबर नहीं डाला गया, इसका मतलब यह है कि यह पता नहीं किया जा सकता कि कौन कब गया और कब कौन आया।

ऐसी हो चुकी हैं घटनाएं
बताते चलें कि संवासिनी गृह में 6 जनवरी को एक युवती की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। उसे हैलट में एडमिट कराया गया था, जहां संवासिनी के रेप की पुष्टि हुई, लेकिन जांच को दबा दिया गया। इसमें जिला प्रोबेशन अधिकारी तक को हटा दिया गया था। प्रदेश के साथ ही देश में भी इस खबर की चर्चा हुई थी। बता दें कि इससे पहले भी कई संवासिनी या तो फांसी लगा चुकी हैं, या फिर वह संवासिनी गृह से भागने की कोशिश की है। आखिर ऐसा क्या है संवासिनी गृह में जो संवासिनियों को यह सब करने के लिए मजबूर करता है। हर मामले में जांच के नाम पर लीपापोती कर मामले को दबा दिया जाता है, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं आती है।

सवालों के घेरे में संवासिनी गृह

– 6 जनवरी 2018 को संवासिनी गृह में युवती की संदिग्ध मौत। 

– 26 फरवरी 2014 को संवासिनी गृह में किशोरी ने फांसी लगाई। 

– 13 अप्रैल को संवासिनी गृह में युवती ने आत्महत्या कर ली। 

– 31 जुलाई को पीडि़ता ने फिर खुदकुशी की कोशिश की।