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‘हम मंत्री हैं यहां के ! बांदा में बीमार नर्स को कुर्सी से न उठना पड़ा भारी, संबद्धता गई-अब नौकरी जाने वाली..

'We are ministers here..! In Banda sick nurse lost her affiliation for not getting up from her chair in front of minister ramkesh nishad, now preparations for dismissal

मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो (बांदा) : मुख्यमंत्री योगी आदि्तयनाथ लगातार यूपी में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अद्भुत पहल कर रहे हैं। ऐसे में योगी सरकार के एक मंत्री बीमार महिला स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन कराने को लेकर सुर्खियों में छाए हैं। दरअसल, गुरुवार रात अचानक जिला महिला अस्पताल पहुंचे यूपी के जलशक्ति विभाग के राज्यमंत्री रामकेश निषाद काफी चर्चा में हैं। अपने गृह जनपद में राज्यमंत्री निषाद रात अपने परिचित की पत्नी का हालचाल जानने महिला अस्पताल पहुंचे थे।

नर्स के कुर्सी से खड़ा न होने पर बिगड़ी बात

बताते हैं कि मंत्री को सामने खड़ा देखने के बाद भी ड्यूटी पर मौजूद नर्स कुर्सी से खड़ी नहीं हुईं। कहते हैं कि मंत्री जी ने खुद भी बताया भी कि ‘वह मंत्री हैं।’ साथ में मौजूद लोगों ने भी कहा कि मंत्री जी आए हैं। कहा जा रहा है कि इतना सबकुछ होने पर भी नर्स कुर्सी से उठकर खड़ी नहीं हुईं। मंत्री जी को नर्स का यह व्यवहार नागवार गुजरा। नाराज होकर मंत्री रामकेश बाहर निकल आए और अस्पताल के गेट पर खड़े हो गए। इससे वहां खलबली मच गई। रात में ही सीएमओ अनिल कुमार श्रीवास्तव और महिला सीएमएस डा. सुनीता सिंह को तलब किया गया। दोनों अस्पताल पहुंचे और नर्स की क्लास भी लगाई।

संबद्धता समाप्त, अब सेवा समाप्ति की बारी

मंत्री के निर्देशों पर नर्स की संबद्धता खत्म करते हुए उन्हें वापस महुआ गांव तैनाती स्थल पर भेजने के आदेश आनन-फानन में जारी किए गए। मामला यहीं नहीं थमा। मंत्री जी का गुस्सा फिर भी शांत नहीं हुआ। अब नर्स की सेवा समाप्त करने की कार्यवाही चल रही है। किसी भी समय उनकी नौकरी जाने वाली है।

मामले में CMO और CMS ने यह कहा..

महिला सीएमएस सुनीता सिंह का कहना है कि सीएमओ स्तर से डीएम को सेवा समाप्ति के लिए पत्र लिखा गया है। उधर, सीएमओ अनिल कुमार का कहना है कि नर्स की सेवा समाप्ति की कार्यवाही के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। बहरहाल, बुंदेलखंड में यह मामला काफी चर्चा में छाया है। इस प्रकरण में किसका अपमान हुआ, किसका अहम टकराया, यह एक अलग बात है। लेकिन जिस नर्स चंद्रप्रभा के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहा है, वे बीते दो साल से ह्रदय रोग जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं।

नर्स ह्रदय रोग से पीड़ित, हो चुकी सर्जरी

उनकी सर्जरी हो चुकी है और आए दिन तबियत बिगड़ती रहती है। खुद सीएमएस भी इस बात को मानती हैं कि उनकी तबियत ठीक नहीं रहती। नर्स चंद्रप्रभा अपने हार्ट के दोनों वाल्व चेंज करा चुकी हैं। अक्सर उनकी तबियत बिगड़ जाती है। इस समय भी वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं।

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उनकी नाजुक सेहत को देखते हुए ही महुआ गांव से बांदा जिला अस्पताल में उन्हें संबंद्ध किया गया। ताकि बीमारी की हालत में इमरजेंसी के समय उनको तत्काल इलाज मिल सके। ऐसे में कुर्सी से एकदम खड़े हो जाने में उनको थोड़ा समय लगना स्वभाविक है। यह भी हो सकता है कि वह खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से ऐसा करने के लिए तैयार न कर सकी हों। एक महिला हैं, इसलिए यह बात समझनी चाहिए।

अस्पताल सूत्र बोले, यह हुई गलतफहमी

अस्पताल सूत्रों का यह भी कहना है कि नर्स रात में अचानक जींस पेंट और टी-शर्ट में आए मंत्री जी को पहचान नहीं पाईं। वह समझ ही नहीं पाईं कि एकदम इस तरह से राज्यमंत्री वहां आ सकते हैं। अमूमन होता भी है कि जब कोई मंत्री अस्पताल जाता है तो पूरे प्रोटोकाल से पहुंचता है।

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अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी जानकारी होती है। अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि गलतफहमी में ही नर्स से ऐसा बर्ताव हो गया है। उधर, मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार मंत्री का कहना है कि दो बार परिचय देने पर भी नर्स ने सीट नहीं छोड़ी।

मामले में राज्यमंत्री से नहीं हो सका संपर्क

जो भी हो, ह्रदय रोग से जूझ रही बीमार महिला स्वास्थ कर्मचारी को इतनी बड़ी सजा देना, उनकी नौकरी ले लेना, ठीक नहीं। बांदा में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिस तरह से मंत्री को खुश करने के लिए संवेदनहीनता दिखा रहे हैं, यह समझ से परे है। लोगों में यह बात काफी चर्चा में है। हमने इस संबंध में बात करने के लिए मंत्री रामकेश निषाद से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी। उनके पीआरओ दिलीप गुप्ता का भी फोन अटैंड नहीं हुआ।

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