मनोज सिंह शुमाली, बांदा : बांदा नगर पालिका इस समय बुंदेलखंड की हाॅटसीट बनी हुई है। इसके लिए बीजेपी से 70 से ज्यादा दावेदार अपना दावा ठोक रहे हैं। इनमें एक से बढ़कर एक नाम सामने आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भले ही यह साफ कर दिया हो कि टिकट पर फैसला लखनऊ और क्षेत्रीय स्तर पर होगा। इसके बावजूद इन दावेदारों में लगभग सभी के अपने-अपने पैरोकार हैं। कुछ स्थानीय नेताओं के सहारे टिकट की राह आसान बना रहे हैं, तो कुछ संगठन के जरिए अपनी पहुंच बनाने में जुटे हैं।
ज्यादातर सिर्फ पैसे दम पर..
पार्टी सूत्रों की माने तो बांदा नगर पालिका सीट के लिए अबतक 70 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। अभी यह संख्या 100 तक पहुंचेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है। आने वाले आवेदनों में पार्टी के कुछ पुराने कार्यकर्ता हैं तो कुछ दूसरे दलों से आयातीत हैं। ठेकेदारों और धनाड्यों की संख्या भी बहुताय में है। वहीं पहली पंक्ति में आकर दम भी लगा रहे हैं। सभी किसी न किसी बड़े धुरंधर का हाथ थामे हुए हैं। अपनी पत्नी और बहू को चुनावी मैदान में उतारने का मन बना चुके ऐसे धनाढ्य दावेदार साम, दाम, दंड, भेद के सहारे किसी भी तरह बस टिकट पाने के लिए बेकरार हैं।
कुछ ने लखनऊ-कानपुर में डेरा डाला
सभी दावेदारों की भागदौड़ जारी है। कुछ दावेदार राजधानी लखनऊ और कानपुर के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे दावेदार कानपुर-लखनऊ के रास्ते बांदा में टिकट की गोटियां बिछाने में लगे हैं।
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वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो जिले में रहकर अपना रास्ता तलाश रहे हैं। कुछ दोबारा नगर पालिका जीतना चाहते हैं। हालांकि, ज्यादातर ऐसे हैं जो सिर्फ पैसे के दम पर नगर पालिका पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं।
..तो आधे खुद ही हो जाएंगे साफ
उधर, अगर निकाय के टिकट वितरण में पार्टी उसी लाइन पर चली जिसमें कहा गया है कि बाहर से आने वाले और ठेकेदारों से परहेज किया जाएगा। तो इनमें से आधे अपने आप बाहर हो जाएंगे। दरअसल, बांदा की सीट इस बार महिला (सामान्य) है। पहले पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी, लेकिन पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद बांदा नगर सामान्य महिला हो गई है। ऐसे में रातों-रात आवेदनों की संख्या बढ़ गई। अब देखना यह है कि इतनी खींचतान के बीच किसको टिकट मिलता है।
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