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उन्नाव गैंगरेप मामले में सुप्रीमकोर्ट का एक और बड़ा फैसला, तिहाड़ में शिफ्ट होगा पीड़िता का चाचा

उन्नाव गैंगरेप मामले में सुप्रीमकोर्ट का एक और बड़ा फैसला, तिहाड़ में शिफ्ट होगा पीड़िता का चाचा

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समरनीति न्यूज, डेस्कः उन्नाव गैंगरेप मामले में सुप्रीमकोर्ट का एक और बड़ा फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप पीड़िता के चाचा को रायबरेली जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। इस फैसले को इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप पीड़िता और उसके वकील की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ को सौंपा था जिससे साथ है कि देश की सर्वोच्च अदालत न सिर्फ पीड़िता और उससे जुड़े लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है बल्कि उसे यूपी पुलिस पर भरोसा भी नहीं है। ऐसे फिर सुरक्षा कारणों से सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के चाचा को तिहाड़ शिफ्ट करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीमकोर्ट रोज करेगा पीड़िता की तबियत की निगरानी  दूसरी खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि पीड़िता को इलाज के लिए दिल्ली नहीं लाया जाएगा उसका इलाज लखनऊ में ही चलेगा। ऐस...
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मस्जिद में नमाज का मामला पांच जजों वाली बेंच को नहीं भेजा जाएगा

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: मस्जिद में नमाज का मामला पांच जजों वाली बेंच को नहीं भेजा जाएगा

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समरनीति न्यूज, नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरूवार को एक बेहद अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा है कि मस्जिद में नमाज का मामला अब बड़ी बेंच यानि पांच जजों वाली बेंच को नहीं भेजा जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फारुकी मामले में टिप्पणी से अयोध्या केस की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने आज कहा कि कहा कि 1994 के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है और यह मामला अब बड़ी बेंच में नहीं भेजा जाएगा। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 1994 के संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं उच्चतम न्यायालय ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं है’ के बारे में 1994 के फैसले पर दोबारा विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इंकार कर दिया। ये भी पढ़ेंः मेरठ में बीजेपी के फायरब्रांड विधायक संगीत सोम के घर ग्रेनेड से हमला, ताबड़तोड़ गोलीबार...
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आईपीसी की धारा-497, शादी के बाहर के संबंध अपराध नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आईपीसी की धारा-497, शादी के बाहर के संबंध अपराध नहीं

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समरनीति न्यूज, नई दिल्लीः देश की सर्वोच्च अदालत ने आज एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए शादी के बाहर के संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखते हुए 158 साल पुराने व्यभिचार-रोधी कानून यानि आईपीसी की धारा-497 को रद्द कर दिया। अदालत की, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया। सभी जजों ने इस मामले में एक राय से फैसला सुनाया। दरअसल, अदालत ने इटली में रहने वाले केरल निवासी जोसेफ शाइन की याचिका पर यह फैसला सुनाया है। क्या थी आईपीसी की धारा-497, यह भी जानियेः  अबतक आईपीसी की धारा-497 के तहत अगर किसी शादीशुदा पुरुष का किसी अन्य शादीशुदा महिला से उसकी रजामंदी से शारीरिक संबंध ...