समरनीति न्यूज, बांदाः जिले का नरैनी क्षेत्र इस वक्त काफी चर्चा में है। हाल ही में पुलिस कर्मी के अवैध खनन को उजागर करते कथित आडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इससे पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। ऐसा लग रहा था कि इसकी जांच के बाद उच्चाधिकारियों द्वारा बड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, ऐसा कुछ सुनने को नहीं मिला।
ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एक सवाल यह भी है कि नरैनी का वह कौन सा ‘प्रभावशाली शख्स’ है जो सरकार की सख्ती के बावजूद प्रशासन पर भारी पड़ रहा है। दरअसल, प्रभावशाली व्यक्ति के साथ खनिज विभाग और आरटीओ विभाग की मिलीभगत पूरे सिस्टम पर भारी पड़ रही है।
आडियो प्रकरण की जांच भी ठंडी
हालांकि, सूत्र बताते हैं कि इसमें नरैनी के स्थानीय एक बड़े नेता का अहम रोल है। वायरल हुए आडियो में एक अधिकारी का भी जिक्र है। हालांकि, उक्त अधिकारी की आवाज उसमें नहीं है, लेकिन जिक्र है। इन सब बातों से तो यही लगता है कि थाना पुलिस भी बहती गंगा में हाथ धोने वाली स्थिति में है।
विभाग के अधिकारियों का ज्यादा दवाब पड़ता है कि नरैनी इलाके में कुछ बालू लदे वाहनों पर कार्रवाई कर दी जाती है। बाद में फिर गाड़ी पुराने ढर्रे पर दौड़ने लगती है। आडियो वायरल मामले की जांच करने वाले सीओ सिटी आलोक मिश्रा ने कुछ दिन पहले बात करने पर बताया था कि उन्होंने जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
डीएम ने की थी ओवरलोडिंग पर कार्रवाई
हाल ही में जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल और सिटी मजिस्ट्रेट सुरेंद्र सिंह चाहल ने 17-18 ट्रकों को नरैनी रोड पर ओवरलोड बालू के साथ पकड़कर कार्रवाई की थी। बताते हैं कि वे ट्रक भी नरैनी से ही आ रहे थे जिनको पहले देर रात, फिर दिन में पकड़ा गया। इसके बावजूद न ओवरलोडिंग बंद हो रही है और न अवैध खनन पर रोक लगी है।
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दरअसल, क्षेत्रीय लोगों में चर्चा है कि डंप के नाम पर बिना रवन्ना के नरैनी से बालू नदियों से खनन कराकर निकाली जा रही है। सवाल इस बात का है कि आला अधिकारियों की सख्ती के बावजूद नरैनी में सबकुछ कैसे खुलेआम चल रहा है। बहरहाल, नरैनी के हालात पूरे जिले के अधिकारियों व माननीयों की साख को बट्टा लगा रहे हैं।
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