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बुंदेलखंड में गोलमालः गरीबों के स्नानागार का लाखों खा गए प्रधान-सचिव

अफसर हैरानः

बुंदेलखंड समस्या की फाइल फोटो।

खुले में शौचमुक्त ग्रामपंचायतों में प्रति स्नानागार 17,242 रुपए खर्च करने की थी योजना, लगने थे टाइल्स-सुंदर फर्श  

बांदाः बुंदेलखंड में सरकारी योजनाओं का भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इस बार मामला उस सरकारी योजना से जुड़ा है जिसके तहत खुले में शौचमुक्त हो चुकीं ग्राम पंचायतों में गरीब ग्रामीणों के लिए गुशलखानों को बनाए जाने थे। दरअसल, बांदा के जिला पंचायतीराज विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में 20 ग्राम पंचायतों को कुल 3 करोड़ 19 लाख रुपए का भारी-भरकम बजट उनके खातों में भेजा था। इस सरकारी धन से खुले में शौचमुक्त हो चुकीं ग्राम पंचायतों में कुल 1855 गुशलखानें यानी स्नानागार बनाए जाने थे लेकिन डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत जाने पर भी 1616 स्नानागारों का काम तो पूरा हुआ लेकिन बाकी के 239 नहीं बने। जिनकी कीमत करीब 41 लाख से ज्यादा है।

वित्तीयवर्ष 2016-17 में 20 ग्राम पंचायतों को मिले थे 3 करोड़ 19 लाख, बनने थे 1855, बने 1616 बाकी 239 का पता नहीं

सरकारी धन के इस बंदरबांट की भनक करने पर विभाग के होश उड़ गए। विभाग की जांच में प्रधान और सचिव की इस हेरफेर की परत दर परत खुलती चली गईं। आनन-फानन में जिला पंचायती राज अधिकारी की ओर से प्रधान और सचिवों को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगने की प्रारंभिक कार्रवाई की गई। लेकिन अधिकारी भी सकते में हैं क्योंकि सरकारी नोटिस को प्रधान और सचिवों ने कोई तवज्जों न देते हुए जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा। हैरान जिला पंचायतीराज विभाग के अफसर अब मामले में दोषी प्रधानों और सचिवों को रिकवरी नोटिस भेजकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। स्नानागार बनाए जाने वाली ग्रामपंचायतें जिले के नरैनी, जसपुरा, तिंदवारी, बिसंडा, महुआ, कमासिन व बबेरू तथा बड़ोखर खुर्द ब्लाक के अंतर्गत आती हैं।

 

क्या कहते हैं अधिकारी 

 

मामले में डीपीआरओ केके सिंह चौहान ने बताया कि मामले में आरोपी प्रधान और सचिवों से स्पष्टीकरण मांगा गया है लेकिन अबतक कोई जवाब नहीं मिला है। चौहान ने कहा कि जल्द ही उनके खिलाफ रिकवरी का नोटिस जारी किया जाएगा।