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दलित और आदिवासी संगठनों का मांगों को लेकर भारत बंद का आह्वान, सरकारें अलर्ट

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, नई दिल्ली: एक बार फिर दलित संगठनों तथा आदिवासियों ने आरक्षण संबंधित अपनी मांगों को लेकर तथा जंगल से उन्हें बेदखल करने के खिलाफ बंद बुलाया है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कई दलित संगठनों ने यह कदम उठाया है। यह बंद 13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करने की मांग को लेकर बुलाया गया है। इस बंद को लेकर देश के कई हिस्सों में सरकारें पूरी तरह अलर्ट हैं।

राजनीतिक दलों का भी समर्थन  

बंद का आह्वान करने वालों में आदिवासी अधिकार आंदोलन, ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा तथा संविधान बचाओ संघर्ष समिति जैसे कई बड़े संगठन शामिल हैं। इतना ही नहीं इस बंद का समर्थन कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राजद के अलावा आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दल भी कर रहे हैं। वहीं इस बंद के आह्वान के अलावा दूसरी ओर कश्मीर में भी 35-ए और जमात-ए-इस्लामी पर बैन के खिलाफ कश्मीर बंद बुलाया गया है। यह बंद मुख्य तौर पर ट्रेडर्स एसोसिएशन द्वारा बुलाया गया है।

दलित संगठनों ने इन मांगों को लेकर बुलाया भारत बंद

  • आरक्षण की अवधारणा बदलकर संविधान पर हमले करना बंद किया जाए।
  • शैक्षणिक व सामाजिक रूप से भेदभाव, बहिष्कार और वंचना का सामना ना करने वाले सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रद्द किया जाए।
  • उच्च शिक्षण संस्थानों की नियुक्तियों में 13 की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर लागू किया जाए।
  • देश भर में 24 लाख खाली पदों को तत्काल भरा जाए।
  • लगभग 20 लाख आदिवासी परिवारों को वनभूमि से बेदखल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के निरस्तीकरण को अध्यादेश लाया जाए।
  • बीते वर्ष 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान बंद समर्थकों पर दर्ज मुकदमें और रासुका हटाई जाए। उनको रिहा किया जाए।