समरनीति न्यूज, बांदा/चित्रकूटः धर्मनगरी चित्रकूट में एक तेल व्यवसाई के दो जुड़वा मासूम बेटों के अपहरण और फिर उनकी नृशंस हत्याकांड की वारदात एक बार फिर लोगों के दिलो-दिमाग में उभर आई है। इस घिनौनी वारदात के एक आरोपी की जेल में संदिग्ध हालात में फांसी लगने से मौत हो गई है। नया अपडेट यह मिला है कि मामले को लेकर सतना जेलर नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि मंगलवार दोपहर बंदी रामकेश यादव पुत्र रामशरण ने सेंट्रल जेल (सतना) के अंदर फांसी लगाई है।
ये लोग भी हैं आरोपी
आरोपी बांदा के नरैनी का रहने वाला था। सतना के पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल का कहना है कि न्यायिक जांच टीम गठित की गई है।दो जुड़वा मासूम भाईयों के अपहरण और हत्याकांड में सतना जेल में मामले के मास्टर माइंड पदम शुक्ला, राजू द्विवेदी, लकी तोमर व रोहित द्विवेदी पिंटा उर्फ पिंटू यादव भी बंद हैं। मामले की हर बिंदू पर जांच की जा रही है। बीती 12 फरवरी को चित्रकूट के सदर कोतवाली क्षेत्र के रामघाट निवासी तेल कारोबारी बृजेश रावत के 6 वर्षीय जुड़वा बेटों प्रियांश व श्रेयांश का जानकी कुंड के सद्गुरु स्कूल परिसर से अपहरण हुआ था।
दिनदहाड़े हुई थी वारदात
इस वारदात को दिनदहाड़े बाइक सवार युवकों ने अंजाम दिया था। बाद में 1 करोड़ फिरौती मांगी थी। 20 लाख मिलने के बावजूद पहचान के डर से आरोपियों ने दोनों मासूमों की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। बाद में दोनों के शवों को बांदा क्षेत्र में एक नदी में डाल दिया था। काफी मशक्कत के बाद पुलिस आरोपी तक पहुंचे थे। हालांकि आरोपियों ने बड़ी की चालाकी और शातिराना अंदाज में वारदात को अंजाम दिया था और लगातार यूपी और एमपी की पुलिस की आंख में धूल झोंकते रहे थे।
राहगीरों के मोबाइल से मांगते थे फिरौती
इस वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी कितने शातिर अपराधी प्रवत्ति के थे, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बच्चों के अपहरण के बाद सभी आरोपी राह चलते लोगों से बहाने से फोन लेते थे और उनके मोबाइल से परिजनों से फिरौती मांगते थे। इसलिए पुलिस जबतक फोन नंबर ट्रेस करके उसतक पहुंचती, पता चलता था कि फोन उनका नहीं था। हालांकि इस दौरान एक राहगीर ने शक होने पर अपहरणकर्ताओं की गाड़ी की नंबर प्लेट का फोटो खींचकर अपने पास रख लिया था। बस इसी फोटो से मिले गाड़ी नंबर से पुलिस बांदा निवासी रामकेश यादव (जिसने फांसी लगाई है) के घर तक पहुंची थी, जिसके बाद पूरी वारदात का खुलासा हो गया।
पुलिस की नाकामी खुलकर आई थी सामने
इस पूरे मामले में पुलिस की कदम-कदम पर नाकामी खुलकर सामने आई थी। पुलिस न तो बच्चों को जीवित बचा सकी और न ही कई दिन तक अपहरणकर्ताओं तक पहुंच सकी। पुलिस की नाकामी और खुफियातंत्र के फेल होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपहरणकर्ताओं ने बच्चों के घर से कुछ दूरी पर ही उनको छिपाकर रखा था, लेकिन पुलिस को इसकी कोई जानकारी नहीं हुई।
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इतना ही नहीं फांसी पर लटका मिला अपहरण-हत्याकांड का मुख्य आरोपी रामकेश यादव (निवासी-नरैनी, बांदा) पहले इन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था, लेकिन पुलिस ने जांच में इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया कि कोई करीबी ही अपहरण के मामले में शामिल हो सकता है। पुलिस के इस नकारेपन के खिलाफ चित्रकूट में उस वक्त खूब धरना-प्रदर्शन और बवाल भी हुआ।
खुद पर कीचड़ उछलता देख पीछे हटे थे भाजपाई
उस वक्त मध्यप्रदेश में नई-नई कांग्रेस सरकार बनने के बाद हुई इस वारदात के बाद भाजपा नेताओं ने चित्रकूट से लेकर बांदा तक मामले को कानून व्यवस्था फेल होने के रूप में मुद्दा बनाने की कोशिश की। फिर एकाएक भाजपाइयों ने चुप्पी साधी, कारण यह था कि जिस गाड़ी से अपहरणकर्ता बच्चों को ले गए उसमें भाजपा का झंडा लगा था।
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तब पुलिस सूत्रों ने इसकी खुलासा भी किया था। पकड़ी गई गाड़ी में पार्टी का झंडा भी लगा था। एक आरोपी का भाई भाजपा से जुड़ा था। खुद का दामन गंदा होता देख, भाजपा के लोगों ने इस मामले में फिर चुप्पी साध ली थी। बहरहाल, राजनीति कितनीलाकि इस वारदात ने जहां पीड़ित माता-पिता को कभी न भूला पाने वाला दुख और दर्द दिया, वहीं आम लोगों को भी काफी दर्द पहुंचाया। काफी लोग उस वक्त बच्चों के सुरक्षित लौट आने की दुआ कर रहे थे, लेकिन दरिंदों ने खुद के पकड़े जाने के डर के चलते दोनों बच्चों को मार डाला था।