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हाल-ए-बुंदेलखंड-2019ः सरकारें बदलीं-वादे बदले, नहीं बदले तो गरीब और किसान के हालात

हाल-ए-बुंदेलखंड-2019ः सरकारें बदलीं-वादे बदले, नहीं बदले तो गरीब और किसान के हालात

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मनोज सिंह शुमाली, पॉलिटिकल डेस्कः बुंदेलखंड पर सभी राजनीतिक दलों की निगाह रहती है। प्रत्येक राजनीतिक पार्टी यहां का चुनावी समीकरण समझने की कोशिश तो करती है लेकिन यहां की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं करती। सरकारों की उपेक्षा का ही नतीजा है कि 19 विधानसभा और चार लोकसभा वाले बुंदेलखंड में बुनियादी समस्याएं मुंह बाये खड़ी है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार बुंदेलखंड के लिए स्पेशल बजट देती है, मगर जमीनी स्तर पर विकास नहीं दिखता। नेताओं से लेकर नौकरशाह सिर्फ चुनावों के दौरान ही यहां ज्यादा दिखते हैं। इसके बाद फिर उनका जनमानस की समस्या से कोई सरोकार नहीं रहता है। लगभग सभी दलों के नेताओं की हालत एक-जैसी  जहां तक स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की बात करें तो खनन और जमीनों की खरीद-फरोख्त तक ही सीमित होकर रह गए हैं। शायद ही किसी दल का कोई ऐसा जनप्रतिनिधि या नेता होगा जो सीधेतौर पर या फिर किस...