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बड़ी सियासी जंग का गवाह बनेगा मुजफ्फरनगर, दमखम के साथ कांटे की होगी टक्कर..

सांकेतिक फोटो।

प्रीति सिंह, पॉलीटिकल डेस्कः मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की बेहद संवेदनशील लोकसभा सीटों में से एक है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाटलैंड मुजफ्फरनगर इस बार बड़ी सियासी जंग का गवाह बनेगा। सपा-बसपा की तरफ से राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी अजित सिंह भाजपा को चुनौती देंगे। इस बार फिर बीजेपी ने संजीव बलियान पर विश्वास दिखाते हुए उन्हें फिर मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में जाट वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है, यही कारण है कि ये लड़ाई तगड़ी होने वाली है। यह चुनाव अजित सिंह की चौधराहट की असली परीक्षा लेगा। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आरएलडी का वोट बैंक पूरी तरफ से बिखर चुका है। ऐसे में उसके लिए मुश्किलें सामने आईं।

बालियान को मिले थे 60 प्रतिशत वोट

वर्ष 2013 में दंगे के बाद ध्रुवीकरण और मोदी लहर में बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट 4,01,135 मतों से जीती थी। अभी आरएलडी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। अगर गठबंधन यह सीट निकाल लेता है तो यह चौधरी परिवार की राजनीति के लिए संजीवनी का काम करेगी। इस लिहाज से इस सीट पर पूरे देश की नजर रहेगी। बालियान के लिए भी यह चुनाव आसान नहीं होगा क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जाटों की नाराजगी काफी मुश्किल का विषय बनी थी।

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मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के संजीव बालियान को जीत मिली थी। संजीव कुमार बालियान को 653,391 वोट ( 59 फीसदी) मिले थे। उन्होंने बसपा के कादिर राणा को पराजित किया था। कादिर को 252,241 वोट (22.8 फीसदी) मिले थे। वहीं, तीसरे नंबर पर सपा के विरेंदर सिंह थे जिन्हें कुल 160,810 वोट (14.5 फीसदी)मिले। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर चार बार बीजेपी का कब्जा रहा है। वहीं, अब तक छह बार कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी को एक बार जीत मिली है। एक बार सपा के उम्मीदवार को भी जीत मिली है।

कुछ ऐसे हैं जातिगत समीकरण 

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर करीब 16 लाख मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 875186 और 713297 महिला मतदाता हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 69.7 फीसदी वोट पड़े थे। इस सीट पर 27 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। जाटों की भी संख्या यहां ज्यादा है। आरएलडी अपने वोट सहेजने और सपा और बसपा के वोट अपने पक्ष में लाने में सफल होती है तो मुजफ्फरनगर सीट पर बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलेगी।

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