समरनीति न्यूज, बांदा : आज रविवार को बांदा के तिंदवारी में ब्रह्मलीन स्वामी रामानंद सरस्वती की अष्टम पुण्यतिथि पर आयोजित संत सम्मेलन का समापन हो गया। इस पांच दिवसीय संत सम्मेलन के समापन के मौके पर साधुओं को अंग वस्त्र भेंट कर विदाई दी गई। साथ ही भंडारे का भी आयोजन किया गया। दरअसल, जसईपुर के वीर पहलवान बाबा आश्रम में यह कार्यक्रम हुआ। आश्रम के महंत स्वामी जयरामदास ने संत-साधुओं को प्रसाद खिलाकर अंगवस्त्र भेंट किए।
सफलता के लिए आत्मबल सबसे महत्वपूर्ण
स्वामी जयरामदास ने कहा कि सफलता के लिए चार तत्वों को बहुत महत्व दिया गया है। यह चार तत्व आत्मबल, कौशल, ध्येय और आत्मविश्वास हैं। आत्मबल सबसे महत्वपूर्ण है। स्वयं के बारे में आप जैसा सोचते हैं आप वैसे ही बनते हैं। यदि आप स्वयं को कमजोर समझते हैं तो कमजोर बनेंगे। अगर खुद को शक्तिशाली समझते हैं तो शक्तिशाली बनेंगे। सबसे पहले हमें आत्मबल के साथ आत्म सम्मान के भाव को स्वयं में जागृत करना होगा।
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कहा कि यदि हम ऐसा कर सकेंगे तभी अपने जीवन की कोई सार्थक दिशा तय कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि लक्ष्यविहीन जीवन एक जीवित शव के समान है। आत्मविश्वास के बल पर हम दुर्गम से दुर्गम कार्य भी सहजता से कर सकते हैं। प्रकृति के समान ही मानव समाज के लक्ष्य के अभाव में समाज व राष्ट्र की उन्नति की गति मंद पड़ जाएगी। अतः हमें अपने जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को धारण कर आगे बढ़ना होगा। इस अवसर पर कुरसेजा धाम के महंत स्वामी परमेश्वर दास महाराज, त्यागी जी महाराज सिंघौली, प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल सिंह समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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