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अपडेटः अमरोहा में भीषण हादसे में सात लोगों की मौत, 58 गंभीर रूप से घायल

समरनीति न्यूज, अमरोहाः अमरोहा के डिडौली थाना क्षेत्र में शुक्रवार को हुए एक भीषण हादसे में सात लोगों की मौत हो गई। जबकि 58 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह हादसा उस वक्त हुआ जब जोया से संभल जा रही एक बस का टायर फट गया। इसके बाद बस अनियंत्रित होकर कई बार पलटा खाई। इससे बस में सवार सभी लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए। हादसे के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है।

बस का टायर फटने से हुआ हादसा, पास से गुजर रही डीसीएम भी चपेट में 

बताया जाता है कि पलौला इंटर कालेज के सामने जोया से संभल जा रही एक बस का टायर तेज धमाके के साथ फट गया। इससे तेज रफ्तार बस अनियंत्रित हो गई। बस ने कई पलटे खाए। जिससे बस सड़क किनारे पलटकर एक पेड़ पर गिर गई और दो हिस्सों में टूट गई। इससे बस के परखच्चे उड़ गए और उसमें सवार यात्रियों बुरी तरह से घायल हो गए। दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि तीन लोगों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

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जिला अस्पताल में दम तोड़ने वाले खुर्शीद (55 साल) निवासी गांव भीकनपुर मुंडा थाना डिडौली, नयाब पत्नी गुलाम रसूल (45 साल) निवासी गांव पलौला थाना डिडौली और तहजीब पुत्र बुनियाद (15 साल) निवासी गांव हटव्वा थाना डिडौली थे। देर रात सूचना मिली है कि दो और लोगों की मौत हो गई है। इतना ही नहीं बस की चपेट में एक डीसीएम में सवार लोग भी घायल हो गए। मौजूद ग्रामीणों ने बस के नीचे दबे लोगों को किसी तरह बाहर निकाला। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों और इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया।

असप्ताल के डाक्टर और स्टाफ ने निभाई सराहनीय भूमिका  

हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई और 20 लोग घायल हों। सभी को जिला अस्पताल लाया गया हो और साथ में सैकड़ों की भीड़ मौजूद हो। ऐसे में जिला अस्पताल अमरोहा के डाक्टरों और बाकी स्टाफ के लिए काम करना कितना मुश्किलों भरा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। फिर भी तमाम दिक्कतों के बावजूद मौके पर मौजूद डा. सीपी यादव, डाक्टर शशांक बस्सी, स्टाफ नर्स शबनम यादव, नेहा कौशिक, सरिता, मीनू गौतम ने बड़े ही संतुलन के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया।

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साथ में फार्मासिस्ट केडी दुबे और प्रदीप ने भी मरीजों को इलाज में मदद देने में कोई कौताही नहीं बरती। खास बात यह थी कि कुछ स्टाफ की ड्यूटी खत्म हो चुकी थी लेकिन स्व अनुशासन और कर्तव्यबोध से बंधे अस्पताल के स्टाफ ने बढ़-चढ़कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। हांलाकि सरकारी अस्पताल में इस तरह के उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं।