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पीएम मोदी को क्लीन चिट पर नाराज चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की चिट्ठी से हड़कंप, मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी दिया बयान

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा व केंद्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा।

समरनीति न्यूज, पॅालीटिकल डेस्कः चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर इस बार जितनी ऊंगली उठी उतनी चर्चा पिछले कई चुनावों में नहीं हुई है। आयोग अपने कामकाज की वजह से भी चर्चा में बना रहा है। आयोग के कामकाज की वजह से ही चुनाव आयुक्त अशोक लवासा भी काफी नाराज रहे। वह इस कदर नाराज हैं कि वह वह किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। मीडिया रिपेार्ट के मुताबिक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखकर कहा है कि जब तक उनके असहमति वाले मत को ऑन रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा तब तक वह आयोग की किसी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। उधर, चुनाव आयुक्त लवासा की कथित चिट्ठी पर केंद्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने भी बयान जारी किया है।

मोदी-शाह को क्लीन चिट के कई मामलों से असहमत   

चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता की कई शिकायतों में चुनाव आयोग द्वारा क्लीन चिट दिए जाने पर असहमति जताई थी। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, लवासा 4 मई से आचार संहिता के मामलों पर सुनवाई करने वाली चुनाव आयोग की बैठकों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

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मालूम हो कि प्रधानमंत्री के भाषणों के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई करने वाली समिति में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल थे। चुनाव आयुक्त अशोक लवासा चाहते थे कि भाषण पर शिकायत को लेकर पीएम मोदी को ‘फॉर्मल लेटर भेजा जाए, लेकिन अशोक लवासा की राय शामिल नहीं की गई। हालांकि बाकी के दोनों चुनाव आयुक्तों ने पीएम के भाषण में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया।

4 मई के बाद लवासा ने नहीं की कोई भी बैठक   

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि लवासा के विरोध की वजह से आयोग ने चार मई के बाद आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर कोई बैठक ही नहीं की है, जबकि 3 मई का आयोग की बैठक में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट उल्लंघन के सभी मामलों में मोदी और शाह को क्लीनचिट मिली थी, जिसके बाद आयोग की खूब आलोचना हुई थी।

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इस मामले के विशेषज्ञों के मुताबिक चुनाव आयुक्त लवासा ने 4 मई से मुख्य चुनाव आयुक्त को कई रिमाइंडर भेजे हैं, जिसमें अल्पसंख्यक फैसले या अंतिम आदेशों में असहमति वाले नोट शामिल किए जाएं। अधिकारी ने कहा कि चुनाव आयोग ने तबसे लेकर अब तक आचार संहिता के उल्लंघन पर कोई आदेश पारित नहीं किया है।

ये बोले, केंद्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा  

अरोरा ने कहा है कि समिति सभी सदस्य एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते। कहा कि इससे पहले भी कई मामलों में नजरिये अलग रह चुके हैं। आपस में एक दूसरे के नजरिए अलग-अलग रहे हैं। कहा कि तब मामले आयोग कार्यालय के अंदर ही रहे। अरोरा ने कहा कि चुनाव आयोग की अंदरुनी गतिविधियों पर जो विवादित खबरें मीडिया में आ रही हैं, उनको टाला जा सकता था।

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बताते चलें कि मीडिया में खबरें छपी थीं कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की एक कथित चिट्ठी 4 मई को सामने आई थी जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को उन्होंने लिखा था कि उन्हें फुल कमीशन की बैठक से दूर रहने को मजबूर किया जा रहा है, क्योंकि अल्पमत के फैसलों रिकार्ड ही नहीं हो रहे हैं।

कांग्रेस ने लवासा मामले में बोला हमला  

कांग्रेस ने अशोक लवासा के आयोग की बैठकों में शामिल नहीं होने से जुड़ी खबरों को लेकर शनिवार को मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस सरकार में संस्थाओं की गरिमा धूमिल हुई है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है, “चुनाव आयोग है या चूक आयोग। लोकतंत्र के लिए एक और काला दिन। चुनाव आयोग के सदस्य ने बैठकों में शामिल होने से इनकार किया। जब चुनाव मोदी-शाह जोड़ी को क्लीनचिट देने में व्यस्त था तब लवासा ने कई मौकों पर असहमति जताई।”