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जन्मदिन खासः असल जिंदगी में भी गमगीन रहती थीं मीना कुमारी

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मनोजरंजन डेस्कः  ‘हमारा ये बाजार एक कब्रिस्तान है ऐसी औरतों का, जिनकी रूहें मर जाती हैं और जिस्म जिंदा रहता है।’ फिल्म पाकिजा का ये डायलॉग आज भी लोगों को झंझोर कर रख देता है लेकिन इससे भी ज्यादा ये डायलॉग बोलने वालीं अभिनेत्री मीना कुमारी ने हर आम और खास को हिलाकर रख दिया था।

अभिनेत्री मीना कुमारी। (फाइल फोटो)

आज उसी बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की 85वीं जयंती मनाई जा रही है। वैसे तो उनका असली नाम महजबीन बेगम था लेकिन उन्होंने मीना कुमारी के नाम से जो पहचान बनाई, खुद में वह एक मिसाल बन गई है। उनका जन्म 1 अगस्त 1933 को था। बताते हैं कि मीना कुमारी अपने माता-पिता इकबाल बेगम और अली बक्श की तीसरी बेटी थीं।

मधु व इरशाद नाम की उनकी दो बड़ी बहनें भी थीं। कहा जाता है कि जब मीना कुमारी का जन्म हुआ था तो उस समय उनके पिता के पास डॉक्टर की फीस देने के भी पैसे नहीं थे। इसलिए माता-पिता ने निर्णय किया की नन्हीं बच्ची को किसी मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ दिया जाए। उन्होंने ऐसा किया भी। लेकिन बाद में मन नहीं माना तो मासूम बच्ची को कुछ ही घंटे बाद फिर से उठाकर घर ले आए।

मीना कुमारी के पिता एक पारसी थिएटर में हार्मोनियम बजाते थे और म्यूजिक सिखाने के साथ-साथ उर्दू शायरी भी लिखा करते थे। पिता अली बक्श ने ‘ईद का चांद’ जैसी कुछ छोटे बजट की फिल्मों में एक्टिंग भी की। मीना कुमारी की मां उनके पिता की दूसरी बीवी थीं जो एक स्टेज डांसर थीं।

अभिनेत्री मीना कुमारी के साथ अभिनेता राजकुमार व धर्मेंद्र। (फाइल फोटो)

आज भी दमदार भूमिका के लिए याद आती हैं मीना कुमारी

सबसे दमदार और खूबसूरत अभिनेत्रियों में मीना कुमारी का नाम आज भी बड़ी शिद्दत से याद किया जाता है। 30 साल के फिल्मी जीवन में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा शानदार फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। मीना कुमारी को ट्रेजडी क्वीन भी कहा जाता था क्योंकि उन्होंने कई फिल्मों में दुखी महिला के किरदार को बड़े ही जीवंत ढंग से निभाया। खास बात यह थी कि फिल्मों में मीना कुमारी को रोते हुए देखकर उनके प्रशंसकों की आंखों में भी आंसू आ जाते थे। हालांकि उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में भी दुख कम नहीं थे। अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक उन्होंने हर पल गमों का सामना किया।

स्कूल जाना चाहती थीं लेकिन 7 साल की उम्र में करना पड़ा फिल्मों में काम 

कहा जाता है कि मीना कुमारी स्कूल जाना चाहती थीं लेकिन परिवार के कहने पर उन्होंने 7 साल की उम्र में फिल्मों में काम शुरू कर दिया था। मीना कुमारी की पहली फिल्म ‘फरजंद-ए-वतन’ नाम से 1939 में रिलीज हुई थी। बतौर बड़ी कलाकार 1949 में  उनकी पहली फिल्म ‘वीर घटोत्कच’ थी।
1952 में फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मीना कुमारी को हिरोइन के रूप में पहचान मिली।  इसके बाद 1953 में ‘परिणीता’, 1955 में ‘आजाद’, और 1956 में ‘एक ही रास्ता’, 1957 में ‘मिस मैरी’, 1957 में ‘शारदा’, 1960 में ‘कोहिनूर’ और 1960 में ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ ये वे फिल्मे थी जिन्होंने मीना कुमारी को एक सशक्त एक्ट्रेस की पहचान दी।

60 के दशक में शोहरत की बुलंदिया छू रही थीं मीना 

1962 में आई फिल्म ‘साहेब बीवी और गुलाम’ में छोटी बहू की भूमिका ने उनको खूब प्रसिद्धी दी। उन्होंने इतिहास रचा और फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड के लिए तीनों नॉमिनेशन मीना कुमारी के ही थे। छोटी बहू की भूमिका के लिए मीना कुमारी को बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया। इसी तरह 60 के दशक में आईं ‘फूल और पत्थर’, व ‘दिल एक मंदिर’, और ‘काजल’, फिल्मों ने उनकी शोहरत को और बड़ा मुकाम दिया। कहा जाता है कि 1964 में पति कमाल अमरोही से तलाक के बाद उनकी शराब की लत और बढ़ गई। शराब के कारण 1968 में मीना कुमारी बहुत ज्यादा बीमार हो गईं। उन्हें इलाज के लिए स्विटजरलैंड व लंदन ले जाया गया। बाद में ठीक होकर लौटने पर उन्होंने कई गंभीर भूमिका निभाईं।

अभिनेत्री नरगिस के साथ मीना कुमारी।

सुनील दत्त और नरगिस ने पूरी कराई थी फिल्म पाकिजा

कम लोग ही जानते होंगे कि मीना कुमारी के पूर्व पति कमाल की फिल्म ‘पाकीजा’ को बनकर रिलीज होने में लगभग 15 साल का लंबा समय लगा था। 1958 में इस फिल्म की योजना बनी और 1964 में यह बननी शुरू हुई। लेकिन 1964 में मीना और कमाल के तलाक के चलते आधी से ज्यादा बन चुकी फिल्म बीच में ही रुक गई। फिर 1969 में सुनील दत्त और नर्गिस ने फिल्म के कुछ दृश्य देखा।

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दोनों को ये इतनी पसंद आई कि दोनों ने कमाल अमरोही व मीना कुमारी को फिल्म पूरा करने के लिए किसी तरह राजी किया। जिसके बाद यह फिल्म बनकर तैयार हुई। आखिरकार 1972 में यह फिल्म ‘पाकीजा’ फरवरी के महीने में रिलीज हुई। पहल तो बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म कोई असर नहीं दिखा सकी। लेकिन बाद में 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी की मौत के बाद फिल्म ने तेजी से रफ्तार पकड़ी और सुपरहिट हो गई।

अभिनेता धर्मेंद्र से था प्यार, हालात ने नहीं दिया साथ 

बताते हैं कि मीना कुमारी की जिंदगी में अभिनेता धर्मेंद्र का आगमन हुआ। वे उनको चाहने लगीं और धर्मेंद्र उस समय अपने कैरियर की शुरूआत कर रहे थे। मीना कुमारी ने धर्मेंद्र को काफी प्रमोट भी किया। लेकिन जानकारों की माने तो धर्मेंद्र से बेवफाई और पति कमाल अमरोही की बेरूखी से मीना कुमारी बुरी तरह से टूट गई थीं। इसके बाद उनकी शराब की लत बढ़ गई।

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उनको लीवर की बीमारी ने घेर लिया। बताते हैं कि मीना कुमारी को जिंदगी एक बार फिर उसी हालात में खींच लाई थी जिन हालातों में उनका जन्म हुआ था। तंगहाली का आलम फिर वही था। कहा जाता है कि जब अभिनेंत्री मीना कुमारी की मौत जिस अस्पताल में हुई उसका बिल चुकाने तक के पैसे उनके पास नहीं थे।