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IIT ने पकड़ी कोर्ट की राह, दशमलव के पेंच में फंसा मामला

समरनीति न्यूज, कानपुरः आईआईटी को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर सामने आ रही है। वह यह कि जेईई एडवांस 2018 में न्‍यूमेरिकल सवालों को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिका को जवाब देने के लिए आईआईटी कानपुर अब आठवीं की गणित की किताब का सहारा लेगा। इसके लिए कोर्ट में किताब को पेश किया जाएगा। एनसीईआरटी के इस आठवीं की किताब में न्‍यूमेरिकल वैल्‍यू 11, 11.0, 11.00 को एक समान बताया गया है।

एक छात्रा ने दायर की है याचिका 

दरअसल मद्रास की एक छात्रा ने याचिका दायर की है कि जिन लोगों ने दशमलव के बाद के दो अंकों तक उत्‍तर सही दिया है, उनका समय ज्‍यादा खर्च हुआ है, लेकिन जो अब रिजल्‍ट जारी किया गया है, उसमें दशमलव के बाद के अंकों को महत्‍व नहीं दिया गया है. इस पर कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐसे छात्रों को भी पूरी तरह से वरीयता दी जाए. उनकी रैंक ऊपर की जाए.

मद्रास हाईकोर्ट में पहुंचा मामला 

इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए आईआईटी कानपुर की ओर से शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. सोमवार या मंगलवार को सुनवाई हो सकती है. जेईई चेयरमैन प्रो. शलभ ने बताया कि गणितीय फार्मूला को बदला नहीं जा सकता है. इस वजह से बचपन से स्‍कूलों में जो बच्‍चों को पढ़ाया जा रहा है, उसी को आधार बनाकर कोर्ट में अपील दायर की गई है, ताकि पूर्व में जारी आदेश पर रोक लग सके.

मुश्‍किल में पड़ चुकी है काउंसिलिंग भी

मद्रास हाईकोर्ट से आए फैसले के बाद आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपलआईटी की काउंसिलिंग अगले आदेश तक स्‍थगित कर दी गई है. जेईई चेयरमैन प्रो. शलभ का कहना है कि उनकी याचिका स्‍वीकार कर ली गई है. ऐसे में जब तक कोर्ट कोई फैसला नहीं देता, तब तक काउंसिलिंग स्‍थगित रहेगी.

ऐसे बढ़ा मामला  

मद्रास की छात्रा एस लक्ष्‍मी श्री ने जेईई एडवांस 2018 के आयोजक आईआईटी कानपुर पर गलत नियम के तहत न्‍यूमेरिकल के सवालों पर नंबर देने का आरोप लगाया है. मद्रास होईकोर्ट में याचिका दायर करके छात्रा ने कहा है कि इस बार जेईई एडवांस के हर पेपर में करीब 50 फीसदी सवालों में दशमलव के बाद तीन अंकों तक की गणना करनी पड़ी. इसमें ज्‍यादा समय लगा. छात्रा ने कहा कि आईआईटी ने पूर्व में जारी निर्देश में कहा था कि दशमलव के बाद दो अंकों जैसे 6.25, 7.00, -0.33, 30.27 तक उत्‍तर दें. हालांकि परीक्षा के बाद अपना ही नियम बदलते हुए कहा कि जिन्‍होंने 7.00 को 7 भी लिख दिया है, उनका उत्‍तर सही है. ऐसे में पूरा उत्‍तर देने वाले छात्रों को नुकसान हुआ है.